नई दिल्ली
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफे से हर किसी को हैरानी हुई है। उनके कार्यकाल को अरविंद केजरीवाल की सरकार के साथ उनकी तकरार के लिए ज्यादा याद रखा जाएगा। दिल्ली से जुड़े फैसलों को लेने का अधिकार किसके पास है, यह सवाल हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और प्रेस कॉन्फ्रेंसों व विज्ञापनों तक का मुद्दा बना। मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच दिल्ली की सत्ता को लेकर उठापटक मीडिया की सुर्खियों में छाई रही।
हालांकि जंग के इस्तीफे की उम्मीद किसी को भी नहीं थी, लेकिन केंद्र उनकी जगह किसी और को लेकर आने की तैयारी कर रहा है ऐसे संकेत जरूर मिले थे। जंग के 3 साल का कार्यकाल जून में पूरा हुआ। उस समय भी उनकी जगह किसी और को लेकर आने पर विचार हुआ था, लेकिन फिर जंग को ही बहाल रखा गया। दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख की भूमिका को लेकर CM केजरीवाल ने लगातार जंग को चुनौती दी। दिल्ली सरकार के कई फैसलों को जंग ने असंवैधानिक बताया और उन्हें खारिज किया। दिल्ली हाई कोर्ट में जब यह मामला पहुंचा, तब अदालत ने उपराज्यपाल के अधिकार को मुख्यमंत्री और उसकी कैबिनेट से ऊपर रखा। यह जंग के लिए एक बड़ी जीत थी, लेकिन फिर दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इस मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि दिल्ली भले ही एक केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के पास भी 'कुछ अधिकार' होने चाहिए।
जंग के इस्तीफे से केजरीवाल और उनके बीच की तकरार का अध्याय भले ही बंद हो गया हो, लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच का सत्ता संघर्ष अभी कायम रहने की उम्मीद है। केजरीवाल ने बार-बार आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही, वहीं BJP उनके आरोपों पर पलटवार करते हुए कहती आई है कि सरकार चलाने में AAP की कोई दिलचस्पी ही नहीं है।
जंग को बदले जाने पर फिलहाल कोई संकेत नहीं दिया गया था, लेकिन राजनैतिक गलियारों में इसे लेकर कयासबाजी चल रही थी। पूर्व गृह सचिव अनिज बैजल से लेकर रिटायर्ड IAS अशोक प्रधान और विजय कपूर तक के नामों पर अनुमान लगाया जा रहा था। विजय कपूर पहले भी 1998 से लेकर 2004 के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल रह चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ऐसे अनुमान अभी काफी कच्चे हैं। मालूम हो कि LG ने बुधवार को ही प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी।
जंग ने केजरीवाल सरकार के उस दावे को चुनौती दी जिसमें सरकार दावा कर रही थी कि जनता द्वारा चुनकर आने के कारण उसके पास कुछ नियुक्तियां करने और फैसले लेने का अधिकार है। जंग ने दिल्ली सरकार के करीब 400 फैसलों की समीक्षा करने के लिए एक समिति बनाई। समिति ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है और यह रिपोर्ट जंग की जगह आने वाले अगले उपराज्यापल के टॉप अजेंडे पर होगी।
जंग 1973 बैच के IAS अधिकारी हैं। वह जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं। 9 जुलाई 2013 को उन्हें दिल्ली का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था। LG के दफ्तर ने एक बयान जारी कर बताया कि जंग ने भारत सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। बयान में उनके इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया गया है। जंग ने इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री मोदी को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद कहा है। जंग ने दिल्लीवासियों के प्रति भी आभार जताया। साथ ही, उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी शुक्रिया कहा।
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफे से हर किसी को हैरानी हुई है। उनके कार्यकाल को अरविंद केजरीवाल की सरकार के साथ उनकी तकरार के लिए ज्यादा याद रखा जाएगा। दिल्ली से जुड़े फैसलों को लेने का अधिकार किसके पास है, यह सवाल हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और प्रेस कॉन्फ्रेंसों व विज्ञापनों तक का मुद्दा बना। मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच दिल्ली की सत्ता को लेकर उठापटक मीडिया की सुर्खियों में छाई रही।
हालांकि जंग के इस्तीफे की उम्मीद किसी को भी नहीं थी, लेकिन केंद्र उनकी जगह किसी और को लेकर आने की तैयारी कर रहा है ऐसे संकेत जरूर मिले थे। जंग के 3 साल का कार्यकाल जून में पूरा हुआ। उस समय भी उनकी जगह किसी और को लेकर आने पर विचार हुआ था, लेकिन फिर जंग को ही बहाल रखा गया। दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख की भूमिका को लेकर CM केजरीवाल ने लगातार जंग को चुनौती दी। दिल्ली सरकार के कई फैसलों को जंग ने असंवैधानिक बताया और उन्हें खारिज किया। दिल्ली हाई कोर्ट में जब यह मामला पहुंचा, तब अदालत ने उपराज्यपाल के अधिकार को मुख्यमंत्री और उसकी कैबिनेट से ऊपर रखा। यह जंग के लिए एक बड़ी जीत थी, लेकिन फिर दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इस मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि दिल्ली भले ही एक केंद्र शासित प्रदेश है, लेकिन जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के पास भी 'कुछ अधिकार' होने चाहिए।
जंग के इस्तीफे से केजरीवाल और उनके बीच की तकरार का अध्याय भले ही बंद हो गया हो, लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच का सत्ता संघर्ष अभी कायम रहने की उम्मीद है। केजरीवाल ने बार-बार आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही, वहीं BJP उनके आरोपों पर पलटवार करते हुए कहती आई है कि सरकार चलाने में AAP की कोई दिलचस्पी ही नहीं है।
जंग को बदले जाने पर फिलहाल कोई संकेत नहीं दिया गया था, लेकिन राजनैतिक गलियारों में इसे लेकर कयासबाजी चल रही थी। पूर्व गृह सचिव अनिज बैजल से लेकर रिटायर्ड IAS अशोक प्रधान और विजय कपूर तक के नामों पर अनुमान लगाया जा रहा था। विजय कपूर पहले भी 1998 से लेकर 2004 के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल रह चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ऐसे अनुमान अभी काफी कच्चे हैं। मालूम हो कि LG ने बुधवार को ही प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी।
जंग ने केजरीवाल सरकार के उस दावे को चुनौती दी जिसमें सरकार दावा कर रही थी कि जनता द्वारा चुनकर आने के कारण उसके पास कुछ नियुक्तियां करने और फैसले लेने का अधिकार है। जंग ने दिल्ली सरकार के करीब 400 फैसलों की समीक्षा करने के लिए एक समिति बनाई। समिति ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है और यह रिपोर्ट जंग की जगह आने वाले अगले उपराज्यापल के टॉप अजेंडे पर होगी।
जंग 1973 बैच के IAS अधिकारी हैं। वह जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं। 9 जुलाई 2013 को उन्हें दिल्ली का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था। LG के दफ्तर ने एक बयान जारी कर बताया कि जंग ने भारत सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। बयान में उनके इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया गया है। जंग ने इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री मोदी को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद कहा है। जंग ने दिल्लीवासियों के प्रति भी आभार जताया। साथ ही, उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी शुक्रिया कहा।
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