रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली
बाहरी दिल्ली के जगतपुर गांव स्थित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में पहुंचा जंगली तेंदुआ अभी वहीं विचरण कर रहा हैं। उसको पकड़ने के लिए लगाया पिंजरा पिछले दो दिनों से खाली है। तेंदुए को पिंजरे में बांधा गया जिंदा बकरा रास नहीं आया है और न ही उसने चिकन में रुचि दिखाई है। अधिकारी मान रहे हैं कि आज-कल में यह तेंदुआ कैद कर लिया जाएगा। यह तेंदुआ पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से पार्क में घूम रहा है।
सूत्रों के अनुसार तेंदुआ हरियाणा के यमुनानगर स्थित कलेसर के संरक्षित वन से यहां आया है। उसने यहां आने के लिए यमुना रूट का सहारा लिया। चूंकि यह पार्क घनी आबादी के बीच में है और तेंदुआ कभी भी जोड़ा बनाने के लिए पार्क छोड़ सकता है, इसलिए उसे पकड़कर किसी सुरक्षित वन में छोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए दिल्ली सरकार के वन व वन्य जीव विभाग के अलावा पार्क के अफसरों की टीम दिन-रात प्रयास कर रही है। शनिवार से यह कवायद चल रही है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है।
विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन एके शुक्ला के अनुसार शनिवार को पिंजरे में जिंदा बकरा बांधा गया था। पिंजरे की खासियत यह है कि बकरे को देखकर तेंदुआ पिंजरे में तो घुस जाएगा, लेकिन बकरे को मारकर नहीं खा पाएगा। लेकिन परसों वह पिंजरे के आसपास भी नहीं फटका। उसका कारण यह है कि पार्क में उसे भरपूर खाना मिल रहा है, इसलिए वह हमलावर मुद्रा में नहीं आ रहा है। शुक्ला ने जानकारी दी कि कल रात पिंजरे में चिकन रखा गया था कि उसकी गंध से वह पिंजरे में आ जाए। वहां लगाए गए कैमरे से इस बात का पता चला है कि वह पिंजरे के पास आया और वहां रखी घास पर बैठा, लेकिन अंदर नहीं घुसा।
आज फिर रात को पिंजरे में जिंदा बकरा रखा जाएगा ताकि वह कैद हो सके। उन्होंने कहा कि असल में यह जंगल से आया जानवर है और उसने कभी पिंजरे आदि नहीं देखे हैं। इसलिए उसकी उसमें रुचि नहीं हो रही है, लेकिन उम्मीद है कि एक-दो दिन में वह पिंजरे में जरूर फंस जाएगा। फिर उसे सुरक्षित जंगल में भेज दिया जाएगा।
गौरतलब है कि यह तेंदुआ पार्क में दो सप्ताह से अधिक वक्त से वहां के झाऊ व सरकंडे के जंगल में विचरण कर रहा है। उस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। उसका कारण यह है कि पार्क के आसपास घनी आबादी है। इसलिए वन व वन्य जीव विभाग व पार्क के अधिकारी खासी चौकसी बरत रहे हैं। उनका मानना है कि देर-सबेर यह तेंदुआ अपना ठिकाना जरूर बदलेगा, जिसके बाद इसकी जान को तो खतरा हो ही सकता है, साथ ही स्थानीय लोगों के लिए भी परेशानी खड़ी हो सकती है।
वन विभाग के अधिकारी इस बात से आश्वस्त हैं कि तेंदुआ अपना विचरण स्थल नहीं बदल रहा है और पिछले कई दिनों से एक ही इलाके में डेरा जमाए हुए है। सूत्र बताते हैं कि पिंजरे में कैद करने के बाद उसे उत्तराखंड के राजाजी नैशनल पार्क या वहीं के कालागढ़ संरक्षित वन में भेजा जाएगा। उसका कारण यह है कि वहां पहले से ही तेंदुओं का निवास है।
बाहरी दिल्ली के जगतपुर गांव स्थित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में पहुंचा जंगली तेंदुआ अभी वहीं विचरण कर रहा हैं। उसको पकड़ने के लिए लगाया पिंजरा पिछले दो दिनों से खाली है। तेंदुए को पिंजरे में बांधा गया जिंदा बकरा रास नहीं आया है और न ही उसने चिकन में रुचि दिखाई है। अधिकारी मान रहे हैं कि आज-कल में यह तेंदुआ कैद कर लिया जाएगा। यह तेंदुआ पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से पार्क में घूम रहा है।
सूत्रों के अनुसार तेंदुआ हरियाणा के यमुनानगर स्थित कलेसर के संरक्षित वन से यहां आया है। उसने यहां आने के लिए यमुना रूट का सहारा लिया। चूंकि यह पार्क घनी आबादी के बीच में है और तेंदुआ कभी भी जोड़ा बनाने के लिए पार्क छोड़ सकता है, इसलिए उसे पकड़कर किसी सुरक्षित वन में छोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए दिल्ली सरकार के वन व वन्य जीव विभाग के अलावा पार्क के अफसरों की टीम दिन-रात प्रयास कर रही है। शनिवार से यह कवायद चल रही है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है।
विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन एके शुक्ला के अनुसार शनिवार को पिंजरे में जिंदा बकरा बांधा गया था। पिंजरे की खासियत यह है कि बकरे को देखकर तेंदुआ पिंजरे में तो घुस जाएगा, लेकिन बकरे को मारकर नहीं खा पाएगा। लेकिन परसों वह पिंजरे के आसपास भी नहीं फटका। उसका कारण यह है कि पार्क में उसे भरपूर खाना मिल रहा है, इसलिए वह हमलावर मुद्रा में नहीं आ रहा है। शुक्ला ने जानकारी दी कि कल रात पिंजरे में चिकन रखा गया था कि उसकी गंध से वह पिंजरे में आ जाए। वहां लगाए गए कैमरे से इस बात का पता चला है कि वह पिंजरे के पास आया और वहां रखी घास पर बैठा, लेकिन अंदर नहीं घुसा।
आज फिर रात को पिंजरे में जिंदा बकरा रखा जाएगा ताकि वह कैद हो सके। उन्होंने कहा कि असल में यह जंगल से आया जानवर है और उसने कभी पिंजरे आदि नहीं देखे हैं। इसलिए उसकी उसमें रुचि नहीं हो रही है, लेकिन उम्मीद है कि एक-दो दिन में वह पिंजरे में जरूर फंस जाएगा। फिर उसे सुरक्षित जंगल में भेज दिया जाएगा।
गौरतलब है कि यह तेंदुआ पार्क में दो सप्ताह से अधिक वक्त से वहां के झाऊ व सरकंडे के जंगल में विचरण कर रहा है। उस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। उसका कारण यह है कि पार्क के आसपास घनी आबादी है। इसलिए वन व वन्य जीव विभाग व पार्क के अधिकारी खासी चौकसी बरत रहे हैं। उनका मानना है कि देर-सबेर यह तेंदुआ अपना ठिकाना जरूर बदलेगा, जिसके बाद इसकी जान को तो खतरा हो ही सकता है, साथ ही स्थानीय लोगों के लिए भी परेशानी खड़ी हो सकती है।
वन विभाग के अधिकारी इस बात से आश्वस्त हैं कि तेंदुआ अपना विचरण स्थल नहीं बदल रहा है और पिछले कई दिनों से एक ही इलाके में डेरा जमाए हुए है। सूत्र बताते हैं कि पिंजरे में कैद करने के बाद उसे उत्तराखंड के राजाजी नैशनल पार्क या वहीं के कालागढ़ संरक्षित वन में भेजा जाएगा। उसका कारण यह है कि वहां पहले से ही तेंदुओं का निवास है।
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