Wednesday, November 2, 2016

गजब धुंध से बेदम हुई दिल्ली, सालों बाद ऐसा

नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली में बुधवार को दिनभर धुंध छाई रही, लोग सुबह जब सोकर उठे तो आसमान में धुंध की काली चादर बिछी हुई थी। यहां तक कि गुरुवार को भी दिल्ली धुंध की चादर में लिपटी हुई है। हालांकि कुछ जगहों पर धूप जरूर निकली है, पर वहां भी धुंध का असर साफ देखा सकता है। धुंध की वजह से दिल्ली में विजिबिलिटी काफी कम हो गई है। नवंबर के महीने में इतनी कम विजिबिलिटी पिछले कई सालों में नहीं रही।

बुधवार को एयर क्वॉलिटी इतनी खराब थी कि इसकी तुलना दिवाली के अगले दिन देखने को मिले प्रदूषण के स्तर से की जा सकती थी। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स की बात करें शाम के 4 बजे यह 432 तक पहुंच गया था जो बेहद खतरनाक माना जा सकता है। दिवाली के अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को यह स्तर 445 था। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी 300-500m की रेंज में थी, इतनी कम विजिबिलिटी दिसंबर और जनवरी के महीने में पड़ने वाले कोहरे के दौरान होती है। एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार की विजिबिलिटी, नवंबर 2012 से भी कहीं ज्यादा कम थी, जब भारी स्मॉग देखने को मिला था।



रात होने के साथ स्मॉग और गहरा होता चला गया, रात 9 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी गिरकर 250m हो गई। जानकारों के मुताबिक यह आपात स्थिति जैसा है क्योंकि पिछले एक सप्ताह से एयर क्वालिटी लगातार 'बेहद खराब' बनी हुई है। बुधवार को दिल्ली में PM 2.5 जैसे प्रदूषित कणों का स्तर सुबह के वक्त 'खतरनाक' स्तर पर पहुंच गया। PM 2.5 का लेवल आर के पुरम, पंजाबी बाग और आनंद विहार जैसे इलाकों में सुबह 7.30 बजे 700 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा हो गया था। वहीं PM 10 जैसे प्रदूषित कणों का स्तर भी इन जगहों पर 1,600 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गया। दिन भर यह लेवल 1,000 माइक्रोग्राम से ज्यादा बना रहा।

एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने कहा है कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में क्रॉप बर्निंग और साथ ही दिवाली पर आतिशबाजी से हुए प्रदूषण की वजह से हालात इतने खराब हुए हैं। दिल्ली के कई पल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशन में PM 2.5 और PM 10 जैसे प्रदूषित कणों का स्तर नॉर्मल से पांच गुना तक ज्यादा दर्ज हुआ। बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर PM 2.5 का लेवल 500 एमजीसीएम से ज्यादा दर्ज हुआ जो नॉर्मल से लगभग आठ गुना ज्यादा है। एक वैज्ञानिक ने बताया, 'पंजाब में बड़े पैमाने पर फसलों को जलाया जा रहा है। नासा की तस्वीरों से पता चलता है कि इस वजह से पूरे इलाके में कितना धुआं फैल गया है।'



सेंटर फॉर सायेंस एंड इन्वाइरनमेंट की अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, 'कई हफ्तों से फसलों को जलाने का काम चल रहा है, साथ ही दिवाली पर हुई आतिशबाजी का असर अब तक हवा में मौजूद है। इस समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। सरकार को अब इमर्जेंसी ऐक्शन लेना चाहिए।' पल्यूशन मॉनिटरिंग एजेंसियों के कुछ वैज्ञानिकों ने तो यहां तक सुझाव दिया है कि प्राइमरी स्कूलों को फिलहाल बंद किया जाना चाहिए ताकि बच्चों को इतने खतरनाक प्रदूषण में सांस न लेनी पड़े।

बता दें कि चीन के पेइचिंग में, अगर तीन दिन तक लगातार प्रदूषण का स्तर इसी तरह खतरनाक बना रहता है तो 'रेड अलर्ट' घोषित कर दिया जाता है और स्कूलों को फौरन बंद कर दिया जाता है। पावर प्लांट्स को उत्सर्जन रोकने को कहा जाता है, साथ ही कारों के लिए ऑड-ईवन जैसी व्यवस्था तुरंत की जाती है।

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