नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के फैसलों से जुड़ी करीब 400 फाइलों की जांच के लिए बनी शुंगलू कमिटी ने अपनी रिपोर्ट एलजी नजीब जंग को सौंप दी है। इससे दिल्ली सरकार और एलजी ऑफिस के बीच फिर से जंग शुरू हो सकती है। आम आदमी पार्टी सरकार ने शुंगलू कमिटी को असंवैधानिक करार दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट के आधेश के बाद एलजी ने शुंगलू कमिटी का गठन किया था।
सूत्रों के अनुसार, एलजी अभी शुंगलू कमिटी की रिपोर्ट को एग्जामिन कर रहे हैं। एलजी ऑफिस जल्द इस मामले में निर्देश जारी कर सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट के एलजी को ही दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख करार दिए जाने के बाद इस समिति का गठन किया गया था। राजधानी दिल्ली में अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच तकरार किसी से छिपी नहीं है। दिनोंदिन यह मामला गंभीर होता जा रहा है। इस मामले में एलजी ऑफिस ने कमिटी को कहा था कि वह फैसले की प्रक्रिया में हुई गलतियों की जांच करे।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों को एलजी की ओर से निर्देश दिया गया था कि वे ऐसे मामलों की समीक्षा करें, जिनमें नियमों के मुताबिक उनकी पूर्व अनुमति जरूरी थी, लेकिन मंजूरी नहीं ली गई। इसके बाद ही एलजी नजीब जंग की मंजूरी के लिए करीब 400 फाइलें भेजी गई थीं। जांच कमिटी को लेकर दिल्ली सरकार शुरू से सवाल उठा रही है। दिल्ली सरकार ने अपने फैसलों से जुड़ी फाइलों की जांच कमिटी से कराने को गैरकानूनी बताया था। सीएम अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में इस पर चर्चा भी हुई थी। इस मामले में डेप्यूटी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा था कि एलजी के पास इस तरह की कोई कमिटी गठित करने की पावर नहीं है। इस लिहाज से यह कमिटी पूरी तरह गैरकानूनी है।
एलजी नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के लिए गए फैसलों की करीब 400 फाइलों की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति का गठन किया था। अगस्त में यह कमिटी गठित की गई थी। इस कमिटी में पूर्व CAG वी. के. शुंगलू, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) प्रदीप कुमार शामिल थे।
दिल्ली सरकार के फैसलों से जुड़ी करीब 400 फाइलों की जांच के लिए बनी शुंगलू कमिटी ने अपनी रिपोर्ट एलजी नजीब जंग को सौंप दी है। इससे दिल्ली सरकार और एलजी ऑफिस के बीच फिर से जंग शुरू हो सकती है। आम आदमी पार्टी सरकार ने शुंगलू कमिटी को असंवैधानिक करार दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट के आधेश के बाद एलजी ने शुंगलू कमिटी का गठन किया था।
सूत्रों के अनुसार, एलजी अभी शुंगलू कमिटी की रिपोर्ट को एग्जामिन कर रहे हैं। एलजी ऑफिस जल्द इस मामले में निर्देश जारी कर सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट के एलजी को ही दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख करार दिए जाने के बाद इस समिति का गठन किया गया था। राजधानी दिल्ली में अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच तकरार किसी से छिपी नहीं है। दिनोंदिन यह मामला गंभीर होता जा रहा है। इस मामले में एलजी ऑफिस ने कमिटी को कहा था कि वह फैसले की प्रक्रिया में हुई गलतियों की जांच करे।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों को एलजी की ओर से निर्देश दिया गया था कि वे ऐसे मामलों की समीक्षा करें, जिनमें नियमों के मुताबिक उनकी पूर्व अनुमति जरूरी थी, लेकिन मंजूरी नहीं ली गई। इसके बाद ही एलजी नजीब जंग की मंजूरी के लिए करीब 400 फाइलें भेजी गई थीं। जांच कमिटी को लेकर दिल्ली सरकार शुरू से सवाल उठा रही है। दिल्ली सरकार ने अपने फैसलों से जुड़ी फाइलों की जांच कमिटी से कराने को गैरकानूनी बताया था। सीएम अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में इस पर चर्चा भी हुई थी। इस मामले में डेप्यूटी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा था कि एलजी के पास इस तरह की कोई कमिटी गठित करने की पावर नहीं है। इस लिहाज से यह कमिटी पूरी तरह गैरकानूनी है।
एलजी नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के लिए गए फैसलों की करीब 400 फाइलों की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति का गठन किया था। अगस्त में यह कमिटी गठित की गई थी। इस कमिटी में पूर्व CAG वी. के. शुंगलू, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) प्रदीप कुमार शामिल थे।
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