Tuesday, November 29, 2016

इन 7 गैरकानूनी धंधों पर नोटबंदी की मार

पंकज त्यागी, नई दिल्ली
नोटबंदी का असर सिर्फ ब्लैकमनी और नकली नोटों के धंधे पर ही नहीं, बल्कि दूसरे अवैध धंधों पर भी जबर्दस्त तरीके से पड़ा है। सट्टा मार्केट तो बिलकुल ठप हो चुका है। हवाला के कारोबारी खाली बैठे हैं। सेक्स रैकेट का मार्केट पूरी तरह बंद तो नहीं हुआ, लेकिन ठंडा पड़ा हुआ है। शराब की बिक्री कम हो गई है। यहां तक कि जेब कटने की वारदातों की PCR कॉल्स में भी भारी कमी आ गई है।

सट्टा बाजार: लाजपत नगर, रोहिणी और मॉडल टाउन में सक्रिय बुकीज के मुताबिक, नोटबैन ने उनका धंधा पूरी तरह चौपट कर दिया है। उन्होंने बताया कि मैच के अगले दिन पंटरों के साथ पूरा हिसाब-किताब किया जाता था, लेकिन अब नए नोटों की कमी और पुराने नोट ठिकाने लगाने के चक्कर में पंटर बेटिंग से दूर हो गए हैं। बुकीज के पास भी नए नोटों की कमी है, जिस कारण वे भी धंधे से दूर हो गए हैं। क्राइम ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर रवींद्र सिंह यादव के मुताबिक, नोट बैन के बाद से अब तक सट्टा मार्केट और हवाला कारोबार की हरकतों के बारे में कोई खबर नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि नोटबंदी से पहले इन धंधों के बारे में क्राइम ब्रांच को क्लू मिलते थे और कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब यह धंधे बंद हैं।

कसीनो: नोटबैन से पहले फार्महाउसों के अंदर गोवा स्टाइल में कसीनो चल रहे थे। सैनिक फार्म और वसंत कुंज के फार्महाउसों में पुलिस ने छापा डालकर कसीनो पकड़े थे और 44 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। कसीनो में हिसाब-किताब गेम की नाइट के अगले दिन होता था। नए कैश की कमी की वजह से कसीनो की टेबल सूनी पड़ी हैं और उन फार्महाउसों पर सिर्फ गार्ड मौजूद हैं।

मटका: नोट बैन ने पुरानी दिल्ली के सदियों पुराने धंधे मटके पर भी बड़ा असर डाला है। हालांकि मटके में नंबर पर ज्यादातर दांव छोटे नोटों को देकर लगाया जाता है, लेकिन इसका हिसाब-किताब और भुगतान बड़े नोटों में ही संभव है। इसके अलावा इन दिनों अवैध नकद की आवाजाही पर पुलिस और आयकर विभाग की नजरों की वजह से भी मटके का धंधा फिलहाल बंद है।

शराब और ड्रग्स: दिल्ली सरकार के एक्साइज विभाग के अफसरों के मुताबिक, नोटबैन के बाद शराब के सरकारी ठेकों पर बिक्री में 30 से 40 फीसद की गिरावट आ गई है। शराब की दुकानों पर शाम को लगने वाली लंबी लाइनें कम हो चुकी हैं। लेकिन सबसे ज्यादा असर अवैध शराब की बिक्री पर पड़ा है। झुग्गियों के इलाके में पुड़ियाओं में बिकने वाले गांजे की बिक्री में भी कमी बताई जा रही है। हालांकि यह पुड़िया 100 रुपये में मिल जाती है, लेकिन इनके खरीदार फिलहाल छोटे नोट भी बचाकर रखना चाहते हैं। यही वजह है कि नोट बैन के बाद NDPC एक्ट के तहत अब केस दर्ज नहीं हो रहे हैं। पहले गाड़ियों में गांजे की खेप पकड़ी जाती थी, लेकिन पिछले 20 दिनों में कोई खेप नहीं पकड़ी गई।

हवाला: नोटबंदी की सबसे बड़ी मार हवाला कारोबार पर पड़ी है। लाखों नहीं, बल्कि हर दिन करोड़ों रुपये के नोट इधर से उधर करने वाला हवाला बाजार नोटबंदीके बाद पूरी तरह ठप हो चुका है। हवाला ऑपरेटर हर दिन गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपये के नोटों का लेन-देन करते थे। इन दिनों यह ऑपरेटर हवाला लेने के बजाय अपनी रकम को किसी तरह कानूनी बनाने की कोशिशों में लगे हैं।

जेबतराशी: जेबकतरों के लिए कुख्यात इलाके उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के DCP अजीत सिंगला ने बताया कि नोटबैन के बाद जेब काटने की वारदातों में खासी कमी आई है। आजकल लोग नए नोटों को खासे एहतियात से रख रहे हैं। बसों और बाजारों में जेब कटने की शिकायतों के लिए पीसीआर के पास जो फोन आते थे, उनमें 50 फीसद से ज्यादा गिरावट आई है।

सेक्स रैकेट: नोटबैन की मार से सेक्स रैकेटों का धंधा भी अछूता नहीं रहा। आम तौर पर इनके लिए बुक रहने वाले होटलों में बुकिंग में खासी कमी आई। हालांकि इसके रैकेटियर बता रहे हैं कि अब हालात बदल रहे हैं और धीरे-धीरे इनका धंधा फिर से शुरू हो रहा है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: इन 7 गैरकानूनी धंधों पर नोटबंदी की मार