दुर्गेशनंदन झा, नई दिल्ली
57 साल के गिरधर सिंह पिछले 6 महीनों से जीवन के लिए प्रार्थना के सहारे जिंदा थे। उनका हार्ट ट्रांसप्लांट होना था, लेकिन दो बार भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। एक बार डोनर का परिवार हार्ट डोनेट करने से पीछे हट गया और दूसरी बार का डोनर भी किसी वजह से उन्हें हार्ट नहीं दे पाया।
मंगलवार को गिरधर सिंह के भाग्य ने उनका साथ दिया, ऐक्सिडेंट में जान गंवा चुके एक 30 वर्षीय शख्स के परिवार ने उनके अंगों का दान करने का फैसला किया। शख्स के हार्ट को जयपुर से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल(SGRH) पहुंचाया गया और डॉक्टरों ने गिरधर सिंह को नई जिंदगी दी। हार्ट को आईईजीआई एयरपोर्ट से अस्पताल तक सही-सलामत पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
गिरधर सिंह का दिल पिछले 6 महीनों से ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से गिरधर सामान्य तरीके से रोजमर्रा के काम नहीं कर पा रहे थे। गिरधर के दिल में करीब 50 पर्सेंट तक की सूजन आ गई थी, जिसकी वजह से वह 5.5 सेमी की साइज से बढ़कर 8.5 सेमी का हो गया था।
SGRH के हार्ट ट्रांसप्लांटेशन प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. सुजय शाद ने बताया, 'अस्पताल को एक स्वस्थ दिल के बारे में नैशनल ऑर्गन ऐंड टिशू ट्रांसपोर्टेशन ऑर्गनाइजेशन से जानकारी मिली, साथ में यह भी पता चला कि डोनर परिवार चाहता है कि डोनेशन दोपहर में जल्द से जल्द किया जाए।' डॉ. शाद ने आगे बताया, ऐसे मामलों में समय का बहुत महत्व होता है इसलिए जल्दी से जल्दी दस्तावेज तैयार किए गए और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जल्द से जल्द ग्रीन कॉरिडोर बनाया।
किडनी और लिवर के मुकाबले हार्ट ट्रांसप्लांट का विंडो पीरियड(अंग को सुरक्षित रखने की अवधि) बहुत कम होती है। इसे ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों की एक टीम अस्पताल में गिरधर सिंह को सर्जरी के लिए तैयार कर रही थी और जैसे ही हार्ट अस्पताल पहुंचा, ट्रांसप्लांट शुरू किया गया और 4.5 घंटे में 57 वर्षीय गिरधर का दिल धड़कने लगा।
डॉक्टरों का कहना है कि सफल सर्जरी के बाद हार्ट का मरीज अमूमन एक दशक तक आराम से जिंदा रह सकता है। हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद अब तक का सबसे ज्यादा जीवन का रेकॉर्ड 33 वर्ष का है।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें
57 साल के गिरधर सिंह पिछले 6 महीनों से जीवन के लिए प्रार्थना के सहारे जिंदा थे। उनका हार्ट ट्रांसप्लांट होना था, लेकिन दो बार भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। एक बार डोनर का परिवार हार्ट डोनेट करने से पीछे हट गया और दूसरी बार का डोनर भी किसी वजह से उन्हें हार्ट नहीं दे पाया।
मंगलवार को गिरधर सिंह के भाग्य ने उनका साथ दिया, ऐक्सिडेंट में जान गंवा चुके एक 30 वर्षीय शख्स के परिवार ने उनके अंगों का दान करने का फैसला किया। शख्स के हार्ट को जयपुर से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल(SGRH) पहुंचाया गया और डॉक्टरों ने गिरधर सिंह को नई जिंदगी दी। हार्ट को आईईजीआई एयरपोर्ट से अस्पताल तक सही-सलामत पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
गिरधर सिंह का दिल पिछले 6 महीनों से ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से गिरधर सामान्य तरीके से रोजमर्रा के काम नहीं कर पा रहे थे। गिरधर के दिल में करीब 50 पर्सेंट तक की सूजन आ गई थी, जिसकी वजह से वह 5.5 सेमी की साइज से बढ़कर 8.5 सेमी का हो गया था।
SGRH के हार्ट ट्रांसप्लांटेशन प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. सुजय शाद ने बताया, 'अस्पताल को एक स्वस्थ दिल के बारे में नैशनल ऑर्गन ऐंड टिशू ट्रांसपोर्टेशन ऑर्गनाइजेशन से जानकारी मिली, साथ में यह भी पता चला कि डोनर परिवार चाहता है कि डोनेशन दोपहर में जल्द से जल्द किया जाए।' डॉ. शाद ने आगे बताया, ऐसे मामलों में समय का बहुत महत्व होता है इसलिए जल्दी से जल्दी दस्तावेज तैयार किए गए और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जल्द से जल्द ग्रीन कॉरिडोर बनाया।
किडनी और लिवर के मुकाबले हार्ट ट्रांसप्लांट का विंडो पीरियड(अंग को सुरक्षित रखने की अवधि) बहुत कम होती है। इसे ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों की एक टीम अस्पताल में गिरधर सिंह को सर्जरी के लिए तैयार कर रही थी और जैसे ही हार्ट अस्पताल पहुंचा, ट्रांसप्लांट शुरू किया गया और 4.5 घंटे में 57 वर्षीय गिरधर का दिल धड़कने लगा।
डॉक्टरों का कहना है कि सफल सर्जरी के बाद हार्ट का मरीज अमूमन एक दशक तक आराम से जिंदा रह सकता है। हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद अब तक का सबसे ज्यादा जीवन का रेकॉर्ड 33 वर्ष का है।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: 57 साल के सीने में धड़का 'जयपुर का दिल'