Tuesday, November 29, 2016

17 घंटे की सर्जरी: बचा हाथ, चलीं उंगलियां

वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्ली

17 घंटे की मैराथन सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने दो टुकड़े में कटी हुई कलाई को फिर से जोड़ दिया। रात डेढ़ बजे की घटना के बाद अगले छह घंटे के अंदर डॉक्टरों ने कलाई के ब्लड वेसेल्स को जोड़कर ब्लड सप्लाई शुरू कर दी थी। इस वजह से यह सर्जरी सफल रही। हाथ कटने के छह घंटे से कम समय में ब्लड वेसेल्स को जोड़ने का विंडो पीरियड है। यही वजह है कि सर्जरी के बाद कमलेश की उंगलियों में जान आनी शुरू हो गई है।

10 नवंबर की रात डेढ़ बजे शीट कटिंग फैक्ट्री में मशीन पर काम के दौरान​ कमलेश का दाहिना हाथ कलाई से कटकर अलग हो गया। कमलेश ने बताया कि जैसे ही हाथ कटा मेरे एक दोस्त ने हाथ उठाया और मुझे हॉस्पिटल ले गया, जहां पर डॉक्टरों ने कटे हुए हाथ को सही तरीके से प्रिजर्व कर दिया और उसे बीएलके हॉस्पिटल रेफर कर दिया। कमलेश बीएलके सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल रात साढ़े तीन बजे पहुंचे। शुरुआती जांच करके मरीज की सुबह 5 बजे सर्जरी शुरू कर दी। प्लास्टिक ऐंड कॉस्मेटिक सर्जरी के एचओडी डॉक्टर लोकेश कुमार की अगुवाई में डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी शुरू की।

डॉक्टर लोकेश ने बताया कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि छह घंटे के अंदर कटे हुए हाथ के ब्लड वेसेल्स जोड़ दिया जाए। एक साथ कई काम किए जा रहे थे। डॉक्टर लोकेश ने कहा कि सबसे पहले बोन को जोड़ा, इसे टाइटैनियम प्लेट से जोड़ा गया। इसके बाद तुरंत ब्लड आर्रटरी को जोड़ा गया ताकि सर्कुलेशन शुरू हो जाए। सर्जरी का सबसे जरूरी काम पूरा हो चुका था। अब हमारे पास बाकी चीजों को जोड़ने का पर्याप्त समय था। इसके बाद मसल्स जोड़ी गईं, जिसमें डेढ़ घंटा लगा, फिर नर्व जोड़ी गईं।

डॉक्टर अनिल कुमार ने कहा कि यह कोई एक डॉक्टर नहीं कर सकता था, इसलिए ऐसी सर्जरी के लिए टीम होती है, यह सर्जरी जितनी माइक्रो होती है उतना ही समय भी लेती है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग टीम का अलग-अलग काम होता है। इसके बाद दूसरी टीम ने टेंडन को जोड़ा, ताकि मूवमेंट आ सके। डॉक्टर कुमार का कहना है कि आमतौर पर सर्जरी के छह से आठ हफ्ते में हाथ काम करने लगता है, इस मरीज की भी उंगली में जान आ गई है। इसमें फीजियोथेरपी का भी अहम रोल है। ब्लड वेसेल्स तो तुरंत काम करने लगते हैं, लेकिन नर्व रोजाना सिर्फ एक एमएम बढ़ती हैं, सेनसेशन आने में एक महीने का समय लग जाता है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: 17 घंटे की सर्जरी: बचा हाथ, चलीं उंगलियां