नई दिल्ली
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग पर एकबार फिर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि पिछले डेढ़ साल के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसलों को 'अमान्य' करार देकर जंग ने अराजकता जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। केजरीवाल ने अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'इसका राष्ट्रीय राजधानी पर गंभीर असर पड़ेगा और यह दिल्ली को दो साल पीछे धकेल देगा। लेकिन दुर्भाग्यवश दिल्ली में यही हो रहा है।'
केजरीवाल की यह टिप्पणी शुक्रवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड के CEO की नियुक्ति को उपराज्यपाल द्वारा अवैध करार देने और धार्मिक निकाय को भंग करने के अगले दिन आई है। जंग ने दिल्ली सरकार से दिल्ली में कृषि योग्य भूमि पर सर्किल रेट बढ़ाने के लिए पिछले साल लाई गई अधिसूचना को भी वापस लेने को कहा है।
केजरीवाल ने कहा, 'हमने दिल्ली में कृषि योग्य भूमि का सर्किल रेट 53 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 करोड़ रुपये कर दिए हैं। यहां तक कि कई किसानों को उनकी जमीन के पैसे बढे़ हुए रेट के आधार पर मिल चुके हैं। अब उस फैसले को अमान्य करार दिया गया है। क्या हम किसानों से पैसे वापस लेंगे।' उन्होंने कहा, 'हमने कई पुल बनाए हैं, क्या अब उन्हें गिरा दिया जाएगा? हमने स्कूलों में 8,000 कक्षाओं का निर्माण किया है। क्या उन्हें भी गिरा दिया जाएगा?'
केजरीवाल ने कहा कि यदि उपराज्यपाल जंग को लगता है कि उन सभी फैसलों में भ्रष्टाचार हुआ है, तो उसकी जांच कर सकते हैं, लेकिन उन्हें उसे अमान्य करार नहीं देना चाहिए था। हां, कुछ फैसलों में उनसे सहमति नहीं ली गई थी। केजरीवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय के 4 अगस्त के फैसले से पहले सरकार ने वैध तरीके से यह समझकर कई फैसले लिए थे, क्योंकि उसे लगा था कि कुछ मुद्दों पर उपराज्यपाल की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 अगस्त को अपने फैसले में उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासक बताया था, लेकिन यह नहीं बताया था कि चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री के पास कोई अधिकार है या नहीं। उन्होंने कहा कि चूंकि उपराज्यपाल से पहले अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए सभी फाइलें उनकी जानकारी के लिए उनके पास भेजी गई थी। केजरीवाल ने कहा, 'उपराज्यपाल तब आपत्ति जता सकते थे। उन आदेशों का अब क्या होगा? अगर ऐसा होता रहा, तो दिल्ली में अराजकता फैल जाएगी।'
केजरीवाल ने कहा कि अगर उनसे पहले मंजूरी नहीं ली गई थी, तो उपराज्यपाल को अब मंजूरी दे देनी चाहिए, ताकि पिछले डेढ़ साल में हुआ काम बेकार नहीं जाए। उन्होंने कहा, 'फैसले लेते समय हमारी नीयत बिल्कुल साफ थी। लेकिन फिर भी उपराज्यपाल को लगता है कि हर बात में उनकी सहमति लेने की जरूरत है तो भविष्य में फैसले उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक लिए जाएंगे और सर्वोच्च न्यायालय चाहे जो भी फैसला देगा, उसी अनुसार काम किया जाएगा।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'लेकिन मैं केंद्र सरकार से गुजारिश करता हूं कि वह उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली की जनता को पीड़ित न करे।'
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग पर एकबार फिर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि पिछले डेढ़ साल के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसलों को 'अमान्य' करार देकर जंग ने अराजकता जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। केजरीवाल ने अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'इसका राष्ट्रीय राजधानी पर गंभीर असर पड़ेगा और यह दिल्ली को दो साल पीछे धकेल देगा। लेकिन दुर्भाग्यवश दिल्ली में यही हो रहा है।'
केजरीवाल की यह टिप्पणी शुक्रवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड के CEO की नियुक्ति को उपराज्यपाल द्वारा अवैध करार देने और धार्मिक निकाय को भंग करने के अगले दिन आई है। जंग ने दिल्ली सरकार से दिल्ली में कृषि योग्य भूमि पर सर्किल रेट बढ़ाने के लिए पिछले साल लाई गई अधिसूचना को भी वापस लेने को कहा है।
केजरीवाल ने कहा, 'हमने दिल्ली में कृषि योग्य भूमि का सर्किल रेट 53 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 करोड़ रुपये कर दिए हैं। यहां तक कि कई किसानों को उनकी जमीन के पैसे बढे़ हुए रेट के आधार पर मिल चुके हैं। अब उस फैसले को अमान्य करार दिया गया है। क्या हम किसानों से पैसे वापस लेंगे।' उन्होंने कहा, 'हमने कई पुल बनाए हैं, क्या अब उन्हें गिरा दिया जाएगा? हमने स्कूलों में 8,000 कक्षाओं का निर्माण किया है। क्या उन्हें भी गिरा दिया जाएगा?'
केजरीवाल ने कहा कि यदि उपराज्यपाल जंग को लगता है कि उन सभी फैसलों में भ्रष्टाचार हुआ है, तो उसकी जांच कर सकते हैं, लेकिन उन्हें उसे अमान्य करार नहीं देना चाहिए था। हां, कुछ फैसलों में उनसे सहमति नहीं ली गई थी। केजरीवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय के 4 अगस्त के फैसले से पहले सरकार ने वैध तरीके से यह समझकर कई फैसले लिए थे, क्योंकि उसे लगा था कि कुछ मुद्दों पर उपराज्यपाल की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 अगस्त को अपने फैसले में उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासक बताया था, लेकिन यह नहीं बताया था कि चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री के पास कोई अधिकार है या नहीं। उन्होंने कहा कि चूंकि उपराज्यपाल से पहले अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए सभी फाइलें उनकी जानकारी के लिए उनके पास भेजी गई थी। केजरीवाल ने कहा, 'उपराज्यपाल तब आपत्ति जता सकते थे। उन आदेशों का अब क्या होगा? अगर ऐसा होता रहा, तो दिल्ली में अराजकता फैल जाएगी।'
केजरीवाल ने कहा कि अगर उनसे पहले मंजूरी नहीं ली गई थी, तो उपराज्यपाल को अब मंजूरी दे देनी चाहिए, ताकि पिछले डेढ़ साल में हुआ काम बेकार नहीं जाए। उन्होंने कहा, 'फैसले लेते समय हमारी नीयत बिल्कुल साफ थी। लेकिन फिर भी उपराज्यपाल को लगता है कि हर बात में उनकी सहमति लेने की जरूरत है तो भविष्य में फैसले उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक लिए जाएंगे और सर्वोच्च न्यायालय चाहे जो भी फैसला देगा, उसी अनुसार काम किया जाएगा।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'लेकिन मैं केंद्र सरकार से गुजारिश करता हूं कि वह उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली की जनता को पीड़ित न करे।'
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