नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि दहेज के मामलों में दूर के रिश्तेदारों को फंसाया जाता है, इसे रोका जाना चाहिए। अडिशनल सेशन जज रमेश कुमार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू याचिका को खारिज करते हुए कही। इस फैसले में शिकायतकर्ता की ननद और उनके पति को बरी कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि दूर के रिश्तेदारों, खासकर पति की शादीशुदा बहनों को गलत तरीके से फंसाया जाता है। इसे रोका जाना चाहिए। ज्यादातर मामलों में शादीशुदा बहनों की अपने भाइयों और उनकी पत्नियों की जिंदगी में कोई भूमिका नहीं होती। आरोप तभी तय किए जा सकते हैं, जब पहली नजर में कोई ठोस और काफी पर्याप्त सबूत हों। शादीशुदा बहनों के बारे में अगर मामूली सी बात है तो विवाहित बहनों के खिलाफ आरोप नहीं लगाने चाहिए।
अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की ननद पहले से शादीशुदा थी। वह शिकायतकर्ता और उसके पति से अलग रहती हैं। वे इस स्थिति में नहीं थे कि दहेज मांगने के बारे में दी गई शिकायत में बताए गए क्राइम को अंजाम दे सकें। महिला ने 2006 में अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज किया था। महिला ने खुद पर क्रूरता का आरोप लगाया था। निचली अदालत ने महिला की ननद और उसके पति को आरोप से बरी कर दिया था। इसके बाद सेशन कोर्ट में एक अपील दायर की गई थी।
दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि दहेज के मामलों में दूर के रिश्तेदारों को फंसाया जाता है, इसे रोका जाना चाहिए। अडिशनल सेशन जज रमेश कुमार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू याचिका को खारिज करते हुए कही। इस फैसले में शिकायतकर्ता की ननद और उनके पति को बरी कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि दूर के रिश्तेदारों, खासकर पति की शादीशुदा बहनों को गलत तरीके से फंसाया जाता है। इसे रोका जाना चाहिए। ज्यादातर मामलों में शादीशुदा बहनों की अपने भाइयों और उनकी पत्नियों की जिंदगी में कोई भूमिका नहीं होती। आरोप तभी तय किए जा सकते हैं, जब पहली नजर में कोई ठोस और काफी पर्याप्त सबूत हों। शादीशुदा बहनों के बारे में अगर मामूली सी बात है तो विवाहित बहनों के खिलाफ आरोप नहीं लगाने चाहिए।
अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की ननद पहले से शादीशुदा थी। वह शिकायतकर्ता और उसके पति से अलग रहती हैं। वे इस स्थिति में नहीं थे कि दहेज मांगने के बारे में दी गई शिकायत में बताए गए क्राइम को अंजाम दे सकें। महिला ने 2006 में अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज किया था। महिला ने खुद पर क्रूरता का आरोप लगाया था। निचली अदालत ने महिला की ननद और उसके पति को आरोप से बरी कर दिया था। इसके बाद सेशन कोर्ट में एक अपील दायर की गई थी।
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