नई दिल्ली
एक बड़ा बिजनस खड़ा करने के बहाने सैकड़ों लोगों की 'इन्वेस्टमेंट' ठगने के आरोप में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 51 साल के मनजीत सांगवान को अरेस्ट किया है। आरोपी के पिता 1965 में पाकिस्तान से लड़ाई में शहीद हुए थे। मनजीत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मुकदमा दर्ज किया हुआ था, लेकिन वह साल 2011 से फरार था। अदालत ने भी भगौड़ा करार दिया हुआ था।
खुद दिल्ली पुलिस में था
जॉइंट सीपी रवींद्र यादव के अनुसार, आरोपी को क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के सुपरविजन में एक पुलिस टीम ने गुड़गांव से अरेस्ट किया। आरोपी से पूछताछ में पता चला कि उसका जन्म 1965 में हुआ, उसी साल उसके पिता पाकिस्तान से लड़ाई में शहीद हो गए।
पुलिस के अनुसार, मनजीत के जीवन में भारी उतार-चढ़ाव रहे हैं। उसने दसवीं तक पढ़ाई की। फिर 1989 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही (ड्राइवर) भर्ती हुआ। निजी वजहों से 1996 में दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी। 2008 में रेडीमेड गारमेंट का बिजनस स्टार्ट किया।
आरोप है कि उसने बिजनेस की नींव ही धोखाधड़ी से रखी। फ्रांस के एक मशहूर ब्रैंड के नाम से गारमेंट का बिजनेस शुरू किया, फिर विभिन्न शहरों में उसकी ब्रांच भी खोल दीं। नामी कंपनी के सहारे बिजनस फैलने लगा। 2010 में फ्रांस की उसी कंपनी ने उसके खिलाफ उत्तम नगर थाने में धोखाधड़ी और कॉपीराइट ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया।
इस केस में पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। जेल से बाहर आने के बाद गांव में सरपंच बन गया। आरोप है कि उसने साल 2013 में फिर अपने एक पार्टनर के साथ मिलकर ब्रैंड में इन्वेस्ट के बहाने सैकड़ों लोगों से करोड़ों ठग लिए, फिर लापता हो गया। इस बाबत साल 2011 में आर्थिक अपराध शाखा में केस दर्ज किया, लेकिन अरेस्ट नहीं कर पाई। 7 अगस्त 2014 को कोर्ट ने उसे भगौड़ा करार दे दिया। अब क्राइम ब्रांच ने उसे अरेस्ट करके आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया है।
एक बड़ा बिजनस खड़ा करने के बहाने सैकड़ों लोगों की 'इन्वेस्टमेंट' ठगने के आरोप में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 51 साल के मनजीत सांगवान को अरेस्ट किया है। आरोपी के पिता 1965 में पाकिस्तान से लड़ाई में शहीद हुए थे। मनजीत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मुकदमा दर्ज किया हुआ था, लेकिन वह साल 2011 से फरार था। अदालत ने भी भगौड़ा करार दिया हुआ था।
खुद दिल्ली पुलिस में था
जॉइंट सीपी रवींद्र यादव के अनुसार, आरोपी को क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के सुपरविजन में एक पुलिस टीम ने गुड़गांव से अरेस्ट किया। आरोपी से पूछताछ में पता चला कि उसका जन्म 1965 में हुआ, उसी साल उसके पिता पाकिस्तान से लड़ाई में शहीद हो गए।
पुलिस के अनुसार, मनजीत के जीवन में भारी उतार-चढ़ाव रहे हैं। उसने दसवीं तक पढ़ाई की। फिर 1989 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही (ड्राइवर) भर्ती हुआ। निजी वजहों से 1996 में दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी। 2008 में रेडीमेड गारमेंट का बिजनस स्टार्ट किया।
आरोप है कि उसने बिजनेस की नींव ही धोखाधड़ी से रखी। फ्रांस के एक मशहूर ब्रैंड के नाम से गारमेंट का बिजनेस शुरू किया, फिर विभिन्न शहरों में उसकी ब्रांच भी खोल दीं। नामी कंपनी के सहारे बिजनस फैलने लगा। 2010 में फ्रांस की उसी कंपनी ने उसके खिलाफ उत्तम नगर थाने में धोखाधड़ी और कॉपीराइट ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया।
इस केस में पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। जेल से बाहर आने के बाद गांव में सरपंच बन गया। आरोप है कि उसने साल 2013 में फिर अपने एक पार्टनर के साथ मिलकर ब्रैंड में इन्वेस्ट के बहाने सैकड़ों लोगों से करोड़ों ठग लिए, फिर लापता हो गया। इस बाबत साल 2011 में आर्थिक अपराध शाखा में केस दर्ज किया, लेकिन अरेस्ट नहीं कर पाई। 7 अगस्त 2014 को कोर्ट ने उसे भगौड़ा करार दे दिया। अब क्राइम ब्रांच ने उसे अरेस्ट करके आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया है।
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