Sunday, October 2, 2016

59 सालों से रामलीला में कर रहे हैं मंचन

रोशन सेठी, नई दिल्ली 67 साल के महाबीर प्रसाद गुप्ता पिछले 59 सालों से रामलीला में मल्टीपल रोल निभा रहे हैं। वे अपना नाम गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल कराना चाहते हैं। दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से एमकॉम किए महाबीर कहते हैं कि रामलीला में मंचन करना उनके जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। पुरानी दिल्ली के तिलक बाजार में उनका केमिकल का बिजनस है।

वह कहते हैं कि तेजी से बदलते इस युग में रामलीलाएं भी हाईटेक हो गई हैं। उनका मानना है कि हमें युवा कलाकारों को राम लीलाओं के प्रति आकर्षित करने के लिए उत्साहित करना होगा। इसके लिए महाबीर प्रसाद गुप्ता ने अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने ही घर से इसकी शुरुआत कर रहे हैं। अपने दो पोतों को रामलीला के मंच पर इस बार वे ला रहे हैं। बड़े रुद्राक्ष गुप्ता (16 वर्ष) को राम और छोटे आरिव गुप्ता (14) लक्ष्मण के रोल के लिए खुद तैयार किया है।

रामलीला में मल्टीपल रोल करने का उन्हें जुनून है। वे परशुराम, दशरथ, साधु रावण और रावण का किरदार निभाते हैं। महाबीर प्रसाद 8 साल के ही थे जब उन्हें रामलीला में मंचन की धुन सवार हो गई। उनके गांव ताबडू (जिला गुड़गांव) में रामलीला की एक मंडली रामलीला करने आया करती थी। उन्हें इस मंडली में वानर का रोल मिला।

बढ़ती उम्र के साथ उन्हें बड़े रोल मिलने शुरू हो गए। वे दिल्ली में शिफ्ट हो गए। महाबीर कहते हैं कि भले ही हाईटेक रामलीला आज बड़ा आकर्षण बनी हुई हैं लेकिन पुरानी रामलीलाओं की शान निराली है। महाबीर कहते हैं कि आसमान को छू रही महंगाई की मार रामलीलाओं पर भी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि हमारी लीलाओं में आर्टिस्ट को संवाद खुद बोलने पड़ते हैं जबकि हाईटेक लीलाओं में कैसेट का सहारा लिया जाता है।

महाबीर को एमकॉम की पढ़ाई के लिए उन्हें इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ी जितनी लीला के संवाद याद करने और उन्हें सही निभाने के लिए करने पड़ी। परशुराम के क्रोध, दशरथ की करुणा, बाली के अन्याय और रावण के अहंकार के मुताबिक अपने आप को ढालना पड़ा।

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