Thursday, September 1, 2016

हड़ताल से एम्स की नर्सों ने समर्थन वापस लिया

नई दिल्ली
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में नर्सों की हड़ताल से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सुबह से सफदरजंग, लोकनायक, दीनदयाल, महावीर, भीमराव आंबेडकर, जीबी पंत, डॉ़. हेडगेवार, हिंदुराव, लेडी हार्डिंग अस्पतालों की नर्सें धरने पर बैठी हैं। इधर, सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को लेकर हो रही अनिश्चितकालीन हड़ताल से एम्स की नर्सों ने समर्थन वापस ले लिया है जिसके कारण दूसरे अस्पतालों की नर्सों ने उनका बॉयकॉट कर हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया।

नर्सिंग फेडरेशन के मुताबिक, एम्स के अधिकारियों ने दबाव बनाकर ऐसा कराया है। उन्हीं की वजह से नर्सों ने हड़ताल पर जाने का फैसला टाल दिया। ऑल इंडिया एम्स नर्सिंग असोसिएशन इस हड़ताल में शामिल है। उधर, हड़ताल शुरू होते ही अस्पतालों में मारामारी मचना शुरू हो गया। कई अस्पतालों में हड़ताल का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए। तत्काल राहत के तौर पर डॉक्टर पर्ची पर दवाएं लिखकर मरीज को हड़ताल के बाद आने की सलाह दे रहे हैं।

नर्सों की हड़ताल का सबसे बुरा असर ऑपरेशन, ब्लड सैंपल, लेबर वार्ड और डेंगू-चिकनगुनिया के मरीजों पर पड़ा है। इन मरीजों को बार-बार ड्रिप लगाने से लेकर दवाएं देने तक की जिम्मेदारी नर्सों पर रहती है। हड़ताल पर जाने से यह काम अब रेजिडेंट डॉक्टरों को करना पड़ रहा है।

मौलाना कॉलेज से पहुंचे स्टूडेंट्स
लोकनायक अस्पताल में व्यवस्थाओं को बिगड़ने से पहले प्रबंधन ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस स्टूडेंट्स को ड्यूटी पर भेज दिया है। ये स्टूडेंट्स अस्पताल में डॉक्टरों की मदद करेंगे। साथ ही वार्ड में मरीजों की देखभाल करेंगे। बताया जा रहा है कि नर्सों की हड़ताल लंबे समय तक चल सकती है। वहीं, सूत्रों की मानें तो शुक्रवार शाम तक स्वास्थ्य मंत्रालय से इनकी मांगों को लेकर ठोस जबाव मिलने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो कल तक हड़ताल खत्म हो सकती है।

दिल्ली नर्सिंग असोसिएशन के अध्यक्ष प्रेमरोज सूरी ने कहा, 'एम्स के अधिकारियों ने नर्सों पर दबाव बनाकर उन्हें हड़ताल में आने से रोका है, लेकिन एम्स की नर्सों के भरोसे हड़ताल नहीं चल रही। पूरी दिल्ली एक साथ है। हड़ताल पर जाने का कठोर निर्णय मोदी सरकार के कारण लिया। बार-बार वादे करना और फिर उनसे मुकर जाना इस सरकार के मंत्रियों की आदत से बन गई है।'

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