नई दिल्ली
AAP सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि भवन संहिता, 2005 के तहत भूकंप संभावित जोन चार के अनुरूप इमारतों के निर्माण को लेकर तीनों नगर निगमों की ओर से कोई कार्ययोजना अभी तक नहीं मिली है। जस्टिस बदर दुर्राज अहमद और जस्टिस आशुतोष कुमार की पीठ के सामने पेश हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा है कि अदालत के पूर्व निर्देशों का पालन करने के लिए उसके प्रयासों के बावजूद यह मामला तीनों निगमों के स्तर पर अभी भी लंबित बना हुआ है।
इससे पहले अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह यह बताए कि भवन उप नियमों को अंतिम रूप देने और भवन संहिता, 2005 के तहत भूकंप संभावित जोन चार के नियमों के अनुरूप इमारतों के निर्माण के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। हलफनामे में कहा गया है, इस सब के बावजूद दिल्ली के तीनों निगमों (एमडीएमसी, ईडीएमसी और एसडीएमसी) की ओर से कोई जवाब या कार्ययोजना अभी तक मिली नहीं है। 20 जुलाई, 2016 की तारीख का एक अन्य पत्र तीनों निगमों को भेजा गया है और उनसे कार्ययोजना बताने को कहा गया है।
अदालत अधिवक्ता अर्पित भार्गव की याचिका की सुनवाई कर रही है जिसमें उन्होंने पूछा है कि अगर दिल्ली में भूकंप का बड़ा झटका आता है तो यहां की इमारतें कितनी सुरक्षित हैं। अब इस मामले की सुनवाई सात सितंबर को होगी। दिल्ली उच्च जोखिम वाले भूकंप संभावित जोन चार में आती है, इस तथ्य के मद्देनजर अदालत ने विभिन्न प्राधिकारों से उनकी कार्ययोजना बताने को और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि इमारतें भूकंप को झेल सकें।
AAP सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि भवन संहिता, 2005 के तहत भूकंप संभावित जोन चार के अनुरूप इमारतों के निर्माण को लेकर तीनों नगर निगमों की ओर से कोई कार्ययोजना अभी तक नहीं मिली है। जस्टिस बदर दुर्राज अहमद और जस्टिस आशुतोष कुमार की पीठ के सामने पेश हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा है कि अदालत के पूर्व निर्देशों का पालन करने के लिए उसके प्रयासों के बावजूद यह मामला तीनों निगमों के स्तर पर अभी भी लंबित बना हुआ है।
इससे पहले अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह यह बताए कि भवन उप नियमों को अंतिम रूप देने और भवन संहिता, 2005 के तहत भूकंप संभावित जोन चार के नियमों के अनुरूप इमारतों के निर्माण के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। हलफनामे में कहा गया है, इस सब के बावजूद दिल्ली के तीनों निगमों (एमडीएमसी, ईडीएमसी और एसडीएमसी) की ओर से कोई जवाब या कार्ययोजना अभी तक मिली नहीं है। 20 जुलाई, 2016 की तारीख का एक अन्य पत्र तीनों निगमों को भेजा गया है और उनसे कार्ययोजना बताने को कहा गया है।
अदालत अधिवक्ता अर्पित भार्गव की याचिका की सुनवाई कर रही है जिसमें उन्होंने पूछा है कि अगर दिल्ली में भूकंप का बड़ा झटका आता है तो यहां की इमारतें कितनी सुरक्षित हैं। अब इस मामले की सुनवाई सात सितंबर को होगी। दिल्ली उच्च जोखिम वाले भूकंप संभावित जोन चार में आती है, इस तथ्य के मद्देनजर अदालत ने विभिन्न प्राधिकारों से उनकी कार्ययोजना बताने को और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि इमारतें भूकंप को झेल सकें।
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