जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में इस साल होने वाले छात्रसंघ चुनावों पर सबकी नजरें रहेंगी। नौ फरवरी को यूनिवर्सिटी में देश विरोधी नारेबाजी और पीएचडी छात्रा के साथी छात्र पर रेप के आरोप का मुद्दा सभी के जेहन में हैं। यहां पर नौ सितम्बर को चुनाव होने है। जेएनयू की दीवारें अलग-अलग संगठनों के पेंपलेट और पोस्टर्स से अटी पड़ी हैं। इन पोस्टर्स में ‘वे कहते हैं शटडाउन जेएनयू हम कहते हैं फाइटबैक जेएनयू’, ‘आइए हमारे साथ मिलकर देश का पुनर्निर्माण करें’ जैसे नारे लिखे हैं। एबीवीपी के पोस्टर में लिखा है, ‘नौ का बदला नौ – नौ सितम्बर को जेएनयू राष्ट्रवाद के लिए वोट करेगा।’
गौरतलब है कि नौ फरवरी को जेएनयू में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगाने का मामला सामने आया था। इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था। इस मामले में छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित तीन छात्रों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं हाल ही में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के पूर्व राज्य अध्यक्ष अनमोल रतन पर एक पीएचडी छात्रा ने रेप का आरोप लगाया है। ये दोनों मामले चुनाव प्रचार के साथ ही छात्रों की आपसी बातचीत में भी उठ रहे हैं। नौ फरवरी की घटना ने वाम का गढ़ माने जाने वाले जेएनयू में वामधड़े को एकजुट होकर चुनाव लड़ने को विवश किया है। आपस में धुर विरोधी माने जाने वाले संगठनों आइसा व एसएफआई ने एक जुट होकर साझे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनका नारा है कि दक्षिणपंथियों की जीत रोकनी है। जेएनयू के वामदलों ने पहले भी कई बार एक जुट होने की असफल कोशिशें की थीं पर अबकी बार तो ‘नौ फरवरी’ ने सभी को एकजुट कर दिया था।
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आईसा और एसएफआई ने अध्यक्ष पद के लिए मोहित पांडे और उपाध्यक्ष के लिए अमल पीपी को मैदान में उतारा है। एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए जान्हवी ओझा को टिकट दिया है। इसी बीच बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन(बाप्सा) ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। बाप्सा जय भीम और जेएनयू में अबकी बार, बाप्सा बाप्सा के नारों के साथ चुनावी मैदान में हैं। बाप्सा ने सोनपिंपले राहुल पूनाराम को अध्यक्ष पद के लिए खड़ा किया है। छात्र वोटिंग को लेकर बंटे हुए और उनका कहना है कि अध्यक्ष पद के लिए भाषण के बाद ही फैसला लेंगे। हालांकि ज्यादातर ने कहा कि वे इस बार वोट जरूर डालेंगे।
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इसी बीच एक छात्र ने जेएनयू में चुनावों से पहले ओपिनियन पोल करना चाहा लेकिन इसके लिए मना कर दिया गया। यूनिवर्सिटी की इलेक्शन कमिटी ने इस पोल पर रोक लगा दी। एक रिपोर्ट के अनुसार अंकित हंस नाम के छात्र ने ओपिनियन पोल कराना चाहा था लेकिन उन्हें इससे रोक दिया गया। बताया जाता है कि अंकित पहले एबीवीपी से जुड़े हुए थे लेकिन बाद में उन्होंने संगठन छोड़ दिया था।
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