Saturday, September 3, 2016

संदीप के बचाव पर अकेले पड़े आशुतोष

नई दिल्ली
दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पूर्व मंत्री संदीप कुमार के अश्लील सीडी कांड को 'सहमति से सेक्स' का मामला बताने वाले आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवक्ता आशुतोष पार्टी में अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आशुतोष के इस बयान से किनारा करते हुए इसे उनका निजी विचार करार दिया। वहीं केजरीवाल के एक और मंत्री कपिल मिश्रा ने 'बा और बापू' के संबंधों पर एक ब्लॉग लिखकर इशारों इशारों में आशुतोष को सीख दी।

आशुतोष के बयान के बारे में पूछने पर सिसोदिया ने कहा, 'संदीप ने जो किया उसका बचाव नहीं किया जा सकता है। संदीप का आचरण पार्टी की शुचिता के हिसाब से गलत है। आशुतोष ने जो कहा वह उनकी अपनी राय हो सकती है। पूरी पार्टी संदीप को लेकर बिल्कुल क्लियर है। इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आशुतोष जो कह रहे हैं वह उनकी निजी राय है।'

सिसोदिया ने कहा कि संदीप कुमार ने जो किया वह गलत किया है। उनको प्राथमिक सदस्यता से सस्पेंड किया गया है। अनुशासन समिति को पूरा मामला दिया गया है।अनुशासन समिति की जो भी सिफारिश आएगी, पार्टी उसे मानेगी।

वहीं दिल्ली सरकार में पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने 'बा और बापू' के संबंधों पर एक ब्लॉग लिखा है। मिश्रा ने इसमें सीधे तौर पर आशुतोष का जिक्र तो नहीं किया है, लेकिन निशाना उन पर ही है। मिश्रा ने ब्लॉग में लिखा है कि बापू पर्दा डालने, ढंकने या छिपाने के लिए नहीं, बल्कि दुविधा दूर करने की चाभी हैं।

पढ़ें कपिल मिश्रा का ब्लॉग
'बा और बापू का संबंध समझना आसान नहीं है। बा के बिना बापू संभव ही नहीं। बा ने कुछ पत्र भी लिखे बापू को, उनको पढ़ें तो शायद प्रेम और प्यार की अलग ही समझ शुरू हो जाए। आज अचानक किसी बात को सीधे बापू से जोड़ देना, उनके जीवन के किसी एक पक्ष से जोड़ देना आसान जरूर है पर सही नहीं है।

उस ऐनक, लाठी, धोती वाले महात्मा के जीवन से सीखने के लिए भी कई जीवन चाहिए। बा जैसा समर्पण व प्रेम ... ये सब शांत चित्त से सोचने, मनन करने के लिए है।

अभी कुछ दिन पहले मैं साबरमती आश्रम गया था, बापू के जीवन के बारे में लिखा है वहां, उनकी बातें, उनके लेख, उनके सत्याग्रह ... जीवन में, अपने अंदर सत्य के लिए आग्रह। खुद के अंदर अहिंसा का भाव। बापू सिर्फ अंग्रेजों से थोड़ी आज़ादी दिलाने आए थे, वह जो आज़ादी दिलाने आए थे वो जिस स्वराज, सत्य व अहिंसा की बात करते थे वह अपनानी इतनी मुश्किल थी कि हमने बापू को ही छोड़ दिया। जिन्होंने बापू को मारा वे किस बात से डरते थे? क्या ताकत थी उस बूढ़े में कि गोडसे जैसों को लगा कि खत्म ही करना पड़ेगा?

एक मुट्ठी नमक से दुनिया के बादशाहों को हिलाने के लिए जो नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक शक्ति व स्वीकृति बापू के पास थी वो नकली हो ही नहीं सकती। बापू के जीवन से तुलना तब की जाए जब ऐसा तराजू हो जो नाप सके, तोल सके।

बापू ने तो एक बच्चे को ज्यादा गुड़ मत खाओ ये कहने में भी 10 दिन लगा दिए, क्योंकि पहले खुद ज्यादा गुड़ खाने की आदत पर संयम किया फिर सीख दी। दूसरों पर जय से पहले खुद को जय करना।

बापू तो कुंजी है, चाभी है, दुविधा दूर करने के लिए है ... बापू पर्दा नहीं है। ढंकने और छिपाने के लिए बापू नहीं है। ईश्वर अल्लाह तेरो नाम , सबको सन्मति दे भगवान

संदीप के बचाव में क्या कहा था आशुतोष ने
आशुतोष ने अपने ब्लॉग में सवाल उठाया था कि अगर दो वयस्क सहमति से आपस में सेक्स करते हैं तो क्या यह अपराध है? आशुतोष ने लिखा कि सेक्स हमारी मूल प्रवृत्ति का हिस्सा है। जैसे हम खाते हैं, पीते हैं और सांस लेते हैं ठीक उसी तरह से सेक्स भी प्राकृतिक है। उन्होंने अपनी बात को जस्टिफाई करने के लिए गांधी, नेहरू और वाजपेयी जैसे नेताओं का उदाहरण भी दिया है।

आशुतोष ने लिखा, 'भारत का इतिहास ऐसे नेताओं और नायकों के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिन्होंने सामाजिक बंधनों के इतर जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति की है।' आप नेता ने लिखा, 'कई सहयोगी महिलाओं से पंडित नेहरू के प्रेम किस्से चटखारे लगाकर सुनाए जाते हैं, लेकिन इससे उनका राजनीतिक करियर खत्म नहीं हुआ।' उन्होंने लिखा कि एडविना माउंटबेटन के साथ उनके (नेहरू) रिश्ते की खूब चर्चा हुई। पूरी दुनिया इसके बारे में जानती थी। नेहरू के आखिरी सांस तक उनका लगाव बना रहा। क्या यह पाप था?' आशुतोष ने गांधी का भी जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि 1910 के दशक में गांधीजी के सरला चौधरी के रिश्तों को लेकर कांग्रेस की टॉप लीडरशिप चिंतित थी।

आशुतोष के लेख के मुताबिक, 'गांधीजी ने भी इसे स्वीकार किया था कि सरला उनकी 'आध्यात्मिक पत्नी' थीं'। कस्तूरबा गांधी भी डिस्टर्ब थीं। सी. राजागोपालचारी और दूसरे सीनियर नेताओं को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उन लोगों ने उन्हें सरला से दूर होने को लेकर समझाया।

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