Thursday, September 1, 2016

संघ मामले में मुकदमे का सामना करेंगे राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ दिए गए अपने बयान को लेकर मानहानि के मामले में एक आरोपी के तौर पर अदालत में मुकदमे का सामना करने का फैसला करते हुए गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि वे 2014 की एक चुनावी रैली में दिए गए अपने बयान के एक-एक शब्द पर कायम हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने जब महाराष्ट्र की अदालत में लंबित मामले में दखल देने से इनकार किया तो राहुल ने कहा कि वे मुकदमे का सामना करने को तैयार हैं। अदालत ने उन्हें इस मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया था। इसके बाद राहुल ने निचली अदालत की ओर से जारी सम्मन और मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार करने संबंधी बंबई हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील वापस ले ली।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने राहुल की वह याचिका भी ठुकरा दी जिसमें उन्होंने भिवंडी की अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति से छूट दिए जाने की मांग की थी। भिवंडी की अदालत ने संघ के एक पदाधिकारी की ओर दर्ज कराई गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए राहुल को बतौर आरोपी अपना बयान रिकॉर्ड कराने के लिए सम्मन जारी किया था।

राहुल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन के पीठ के समक्ष कहा, मैं अपने एक-एक शब्द पर कायम हूं। मैं अपने शब्द कभी वापस नहीं लूंगा। मैं कल भी इस पर कायम था। मैं आज भी इस पर कायम हूं और भविष्य में भी इस पर कायम रहूंगा। मैं मुकदमे का सामना करने को तैयार हूं। उनके अनुसार उन्होंने उसी बात को दोहराया है जो नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे ने आरएसएस के बारे में कहा था। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने 2014 में एक चुनावी रैली में बयान दिया था। वे महाराष्ट्र के भिवंडी की एक अदालत में मुकदमे का सामना करेंगे, जहां उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया गया है। यह मामला जब पीठ के समक्ष आया तो संघ के पदाधिकारी के वकील ने कहा कि उन्हें निर्देश मिला है कि मामले को समाप्त किया जा सकता है अगर राहुल एक अन्य स्पष्टीकरण में बयान दे दें कि उनकी कभी यह कहने की मंशा नहीं थी कि हत्या के पीछे संघ का हाथ था।

हालांकि, सिब्बल ने दलील दी कि शीर्ष अदालत इस बात को रिकॉर्ड में ले ले कि राहुल मुकदमे का सामना करना चाहते हैं क्योंकि वे अपने एक-एक शब्द पर कायम हैं। सर्वोच्च न्यायालय के पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पाया कि राहुल गांधी अपने पहले के उस रुख से हटे हैं जिसमें उन्होंने राष्ट्रपिता की हत्या के लिए कभी भी आरएसएस को एक संस्था के तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया था। राहुल के खिलाफ आरएसएस के पदाधिकारी महादेव कुंटे ने शिकायत दर्ज कराई थी। संघ पदाधिकारी के वकील यूआर ललित से पिछली सुनवाई के दौरान कहा गया था कि वे अपने मुवक्किल से पूछें कि क्या वे राहुल के इस बयान को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं जिसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए संघ को नहीं, बल्कि इस संगठन से जुड़े लोगों को जिम्मेदार ठहराया था। ललित ने कहा कि राहुल के इस बयान में कुछ जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा, यह बयान जैसा है मैं उसे उसी तरह लेता हूं।

इस हालात में मैं उनसे सहमत हूं, अगर वे यह कहते हैं कि इस अपराध में आरएसएस को संलिप्त करने का उनका कोई इरादा नहीं था। उनको यह कहने दीजिए कि वे मानते हैं कि हत्या में आरएसएस एक संस्था के तौर पर शामिल नहीं थी। इस वरिष्ठ वकील ने कहा, जब-जब चुनाव आते हैं तो आरएसएस को बदनाम किया जाता है। पिछले 60 वर्षों में जब-जब चुनाव होते है और जब राजनीतिक लड़ाई होती है और जहां अल्पसंख्यक मतों को हासिल करना होता है तो हम (आरएसएस) निशाने पर होते हैं। कपिल सिब्बल ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि दूसरा पक्ष ‘राजनीतिक भाषण’ दे रहा है और इसे रोका जाना चाहिए। ललित ने कहा कि वे तथ्य के साथ इसे साबित कर देंगे। सिब्बल ने कहा कि राहुल ने जो कहा है कि उस पर वह कायम हैं।

जब पीठ राहुल की दलील पर विचार करने को तैयार नहीं था तो सिब्बल ने कांग्रेस नेता द्वारा बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील को वापस लेने को तरजीह दी। बंबई उच्च न्यायालय ने मामले को निरस्त करने और निचली अदालत द्वारा राहुल के खिलाफ जारी सम्मन को निरस्त करने से मना कर दिया था। पीठ ने उनकी अर्जी मंजूर कर ली और राहुल की विशेष अनुमति याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया। पीठ ने यह भी कहा कि निचली अदालत शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के दौरान की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना मामले में आगे बढ़ेगी। गत 24 अगस्त को राहुल ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए एक संस्था के तौर पर आरएसएस पर कभी दोषारोपण नहीं किया था, बल्कि उससे जुड़े लोगों का हत्या के पीछे हाथ था।

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