नई दिल्ली
केजरीवाल सरकार द्वारा केंद्र और प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाकर लगाए गए ताजा विज्ञापनों को और कहीं से नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार के ही एक महकमे से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार के सूचना और प्रसारण निदेशालय ने इन विज्ञापनों पर आपत्ति जताई है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार में सूत्रों के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक, निदेशालय ने सरकारी विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन्स का हवाला देते हुए अपनी ही सरकार के विज्ञापनों पर आपत्ति जताई है।
इन विज्ञापनों में मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा हाल ही में PM मोदी को लिखी गई एक चिट्ठी को प्रमुखता से शामिल किया गया है। इस चिट्ठी में केजरीवाल ने केंद्रीय आयकर विभाग पर छोटे कारोबारियों को परेशान करने का आरोप लगाया है। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिल्ली सरकार को सलाह दी है कि उसे इन विज्ञापनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जानकारी के मुताबिक, अधिकारी ने कहा है कि संबंधित विज्ञापन अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करते हैं।
अधिकारी ने कहा है कि विज्ञापनों में 'PM पर आरोप लगाए गए हैं, जबकि एक सरकारी विज्ञापन में प्रधानमंत्री पर आरोप लगाना सही नहीं होगा।' अदालत के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए निदेशालय ने ध्यान दिलाया है कि सरकारी विज्ञापनों में राजनैतिक और पक्षपातपूर्ण बातें नहीं होनी चाहिए। निदेशालय ने यह भी कहा है कि सरकारी विज्ञापनों को राजनैतिक तौर पर निष्पक्ष होना चाहिए। साथ ही, इसमें विपक्षी दल के नजरिए या फिर कामों को लेकर सीधा हमला भी नहीं किया जाना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह विज्ञापन मनीष सिसोदिया के ऑफिस से भेजा गया था। मालूम हो कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के प्रचार विभाग के भी प्रमुख हैं। इसके जवाब में निदेशालय ने यह भी कहा है कि 'सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स में कहा गया है कि सरकारी विभागों और एजेंसियों के प्रमुखों पर इन गाइडलाइन्स के पालन की जिम्मेदारी होगी। मीडिया में जारी किए जाने से पहले संबंधित विभाग के प्रमुख द्वारा प्रमाणित किया जाना जरूरी होगा।' निदेशालय ने इस निर्देश का जिक्र करते हुए ध्यान दिलाया है कि मौजूदा विज्ञापनों को चूंकि किसी भी HOD द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है, ऐसे में यह साफ नहीं है कि अदालत के गाइडलाइन्स का पालन करने की जिम्मेदारी किसकी मानी जाएगी।
केजरीवाल सरकार द्वारा केंद्र और प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाकर लगाए गए ताजा विज्ञापनों को और कहीं से नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार के ही एक महकमे से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार के सूचना और प्रसारण निदेशालय ने इन विज्ञापनों पर आपत्ति जताई है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार में सूत्रों के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक, निदेशालय ने सरकारी विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन्स का हवाला देते हुए अपनी ही सरकार के विज्ञापनों पर आपत्ति जताई है।
इन विज्ञापनों में मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा हाल ही में PM मोदी को लिखी गई एक चिट्ठी को प्रमुखता से शामिल किया गया है। इस चिट्ठी में केजरीवाल ने केंद्रीय आयकर विभाग पर छोटे कारोबारियों को परेशान करने का आरोप लगाया है। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिल्ली सरकार को सलाह दी है कि उसे इन विज्ञापनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जानकारी के मुताबिक, अधिकारी ने कहा है कि संबंधित विज्ञापन अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करते हैं।
अधिकारी ने कहा है कि विज्ञापनों में 'PM पर आरोप लगाए गए हैं, जबकि एक सरकारी विज्ञापन में प्रधानमंत्री पर आरोप लगाना सही नहीं होगा।' अदालत के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए निदेशालय ने ध्यान दिलाया है कि सरकारी विज्ञापनों में राजनैतिक और पक्षपातपूर्ण बातें नहीं होनी चाहिए। निदेशालय ने यह भी कहा है कि सरकारी विज्ञापनों को राजनैतिक तौर पर निष्पक्ष होना चाहिए। साथ ही, इसमें विपक्षी दल के नजरिए या फिर कामों को लेकर सीधा हमला भी नहीं किया जाना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह विज्ञापन मनीष सिसोदिया के ऑफिस से भेजा गया था। मालूम हो कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के प्रचार विभाग के भी प्रमुख हैं। इसके जवाब में निदेशालय ने यह भी कहा है कि 'सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स में कहा गया है कि सरकारी विभागों और एजेंसियों के प्रमुखों पर इन गाइडलाइन्स के पालन की जिम्मेदारी होगी। मीडिया में जारी किए जाने से पहले संबंधित विभाग के प्रमुख द्वारा प्रमाणित किया जाना जरूरी होगा।' निदेशालय ने इस निर्देश का जिक्र करते हुए ध्यान दिलाया है कि मौजूदा विज्ञापनों को चूंकि किसी भी HOD द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है, ऐसे में यह साफ नहीं है कि अदालत के गाइडलाइन्स का पालन करने की जिम्मेदारी किसकी मानी जाएगी।
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