Friday, September 2, 2016

आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की छह याचिका, दिल्ली को केन्द्र शासित प्रदेश बताने का मामला

दिल्ली सरकार ने शुक्रवार (2 सितंबर) उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए छह अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई है और राष्ट्रीय राजधानी को पूर्ण राज्य घोषित करने का आग्रह करने वाली अपनी दीवानी याचिका वापस ले ली। न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने आप को दीवानी याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए उसे इस याचिका में उठाए गए मुद्दों को दायर की गईं अपनी विशेष अनुमति याचिकाओं में ही उठाने के लिए कहा। उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने दिल्ली की ‘आप’ सरकार से पूछा था कि क्या वह उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ कोई अपील दायर करेगी जिसमें दिल्ली को केन्द्र शासित प्रदेश और उप राज्यपाल को उसका प्रशासनिक प्रमुख बताया गया है। उसने आप सरकार से यह भी पूछा था कि वह कब तक अपील दायर करेगी। दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मामले की पिछली सुनवाई में पीठ की टिप्पणी के अनुरूप वे दीवानी याचिका वापस लेना चाहती हैं क्योंकि उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए छह अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई हैं।

इंदिरा ने कहा कि दीवानी याचिका में उठाए गए मुद्दे विशेष अनुमति याचिका के मुद्दों से बहुत हद तक मिलते-जुलते हैं। उन्होंने कहा, ‘विशेष अनुमति याचिका दायर किए जाने के आलोक में, दीवानी याचिका वापस लेने की इजाजत प्रदान की जाए।’ ‘आप’ सरकार की वकील ने यह भी कहा कि उन्हें इस की छूट दी जाए कि जब कार्रवाई का नया मौका आए वे मुद्दे बुलंद कर सकें। इस पर अदालत ने कहा, ‘अगर कार्रवाई का कोई ताजा कारण आए आप हमेशा ऐसा कर सकते हैं, जब आवश्यक हो आप मुद्दा उठा सकते हैं।’ अदालत ने यह भी कहा कि उसका यह आदेश याचिकाओं या विशेष अनुमति याचिकाओं के गुण-दोष पर नहीं है और स्पष्ट किया कि उसने इन मुद्दों को नहीं देखा है। इसके बाद पीठ ने दीवानी याचिका वापस लेने की इजाजत दी।

पीठ ने 29 अगस्त को इंदिरा के पूर्व बयान का संज्ञान लिया था कि जल्द ही उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर की जाएगी और उसने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा था कि यह अपील कब दायर की जाएगी। पीठ ने कहा था कि दिल्ली सरकार को विशेष अनुमति याचिका दायर करने की जरूरत है और मौजूदा याचिका ‘निष्प्रभावी’ हो जाएगी। इससे पहले, जब ‘आप’ सरकार की याचिका सुनवाई के लिए आई तो अदालत ने कहा था कि याचिका पर आगे बढ़ने की जगह उसे दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली एक अपील दायर करनी चाहिए।

केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने दिल्ली सरकार के आग्रह का जोरदार विरोध करते हुए कहा था कि वह एक ही राहत के लिए दो समांतर उपाय नहीं कर सकती। इससे पहले उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के तहत दिल्लीकेन्द्र शासित प्रदेश बना हुआ है और उप राज्यपाल उसका प्रशासनिक प्रमुख है। उच्च न्यायालय ने ‘आप’ सरकार की यह दलील नहीं स्वीकार की कि उप राज्यपाल विधानसभा में कानून बनाने के संदर्भ में अनुच्छेद 239एए के तहत सिर्फ मुख्यमंत्री और उसके मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह पर कार्रवाई कर सकता है।

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