दिल्ली सचिवालय के लिए चलने वाली दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों के डिस्प्ले और परिचालन स्थल में कोई समानता नहीं है। इससे दिल्ली सचिवालय जाने में तो दिक्कत नहीं है, लेकिन लौटते वक्त इस रूट की बसें रास्ता बदल देती हैं। सचिवालय की बसें लौटते वक्त राजघाट पावर हाउस से चलती हैं, जिससे इन बसों का रूट बदल जाता है। इस कारण सचिवालय से लौटते वक्त कर्मचारी, पत्रकार और आम लोगों को खासी परेशानी होती है। लोग दिल्ली सचिवालय की बसों का इंतजार करते रह जाते हैं और जब बसें नहीं मिलतीं तो मजबूरन उन्हें वहां से पैदल चलकर पुल पर जाना पड़ता है या राजघाट पावर हाउस से बस पकड़नी पड़ती है।
लोगों का कहना है कि बसों के डिस्प्ले में दिल्ली सचिवालय लिखा होता है तो ये बसें दिल्ली सचिवालय के यात्रियों को मिलनी चाहिए, लेकिन ड्राइवर बसों को दिल्ली सचिवालय में न खड़ी करके सीधे राजघाट पावर हाउस पर रोकते हैं और फिर यहीं से बसें वापस होती हैं। इस कारण लौटते समय इन बसों का रूट बदल जाता है और वे दिल्ली सचिवालय न जाकर सीधे आइटीओ होकर निकल जाती हैं।
लोगों का कहना है कि डीटीसी इन बसों को दिल्ली सचिवालय पुल के पास से चला सकता है। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो इन बसों का डिस्प्ले बदल दिया जाना चाहिए और दिल्ली सचिवालय के बजाए इन पर बाकायदा राजघाट पावर हाउस लिख दिया जाना चाहिए, क्योंकि दिल्ली सचिवालय और राजघाट पावर हाउस के बीच की दूरी एक किलोमीटर से ज्यादा है और कई लोगों को इतनी दूर पैदल चलने में मुश्किल होती है।दिल्ली सचिवालय में अर्जी देने आए ज्ञानचंद का कहना है कि 949 नंबर की बस से दिल्ली सचिवालय तो आ गया, लेकिन सचिवालय से वापसी की बस नहीं मिली। डीटीसी इन बसों को सचिवालय के पुल के पास से भी चला सकता है, जिससे सचिवालय आने-जाने वालों को बस मिलती रहे। ऐसा नहीं होने से लोगों को सचिवालय से लौटते समय बहुत परेशानी होती है। इस बारे में डीटीसी के पीआरओ आरएस मिन्हास का कहना है कि भीड़ और जाम के कारण दिल्ली सचिवालय के लिए चलने वाली बसों को राजघाट पावर हाउस से चलाया जाता है।
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