Wednesday, August 31, 2016

मानव तस्करी का प्रमुख अड्डा बनी राजधानी

नई दिल्ली
मानव तस्करी की समस्या मुंह फाड़ती जा रही है। इस मामले में राजधानी दिल्ली काफी आगे है। पिछले कुछ वर्षों में राजधानी मानव तस्करी के प्रमुख अड्डे का आकार ले चुकी है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के साल 2015 के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में मानव तस्करी के मामलों में 73% वृद्धि हुई है। साल 2015 में यह आंकड़ा 156 हो गया है जो कि 1 साल पहले सिर्फ 23 था। आंकड़ों के अनुसार, 2014 में 32 लड़कियों की तुलना में इस साल पुलिस और अन्य एजेंसियों ने 207 लड़कियों को तस्करों के चंगुल से आजाद कराया है।

भारत में कुल मानव तस्करी में दिल्ली का हिस्सा 1.3 फीसदी है। पिछले साल छुड़ाई गई लड़कियों में से 194 को नौकरी के नाम पर दिल्ली लाया गया था। इनमें से 7 को वेश्यावृति के धंधे में धकेल दिया गया और 3 को अन्य राज्यों में बेच दिया गया था। पिछले साल बच्चों की तस्करी के मामलों में 163 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।

पीड़ित बच्चों में 60 फीसदी 12 से 16 साल की उम्र के हैं, जिनमें से 83.3% मामलों में आरोपी जान पहचान वाल ही थे। पुलिस द्वारा छुड़ाए गए बच्चों में अधिकतर बंगाल, बिहार, झारखंड और ओडिशा के हैं। पुलिस ने बच्चों से दुकान या घरों में काम कराने वाले 121 लोगों पर भी मामले दर्ज किए थे। 2015 में दिल्ली पुलिस ने जूवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत 200 केस दर्ज किए हैं।

2014 में इम्मॉरल ट्रैफिकिंग प्रिवेंशन ऐक्ट के तहत 1 मामला दर्ज किया गया था। भारत में 2015 में इसी तरह के कुल 11538 मामले अदालतों में हैं, जिनमें से 70% दिल्ली से संबंधित हैं। इनमें से 10 फीसदी मामलों में अभियुक्तों पर पोक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। 23 मामले ऐसे भी हैं, जहां माता-पिता के खिलाफ केस दर्ज किया गया हो।

इस खबर को अंग्रेजी में यहां पढ़ें: Delhi turning into hub of human trafficking

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