नई दिल्ली
रेलवे की संपत्तियों को गंदा होने से बचा पाने में नाकामी का आरोप झेल रही उत्तर-रेलवे ने बुधवार को नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) को बताया कि उसने अभी तक ऐसे एक हजार से ज्यादा लोगों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। पर्यावरण सुधार के तौर पर इस रकम की वसूली में देरी के लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रेलवे ने कहा कि उसे इस काम में दोनों से जरूरी मदद नहीं मिल रही।
रेल मंत्रालय के वकील ओम प्रकाश ने बताया कि उन्होंने NGT को ऐसे 1024 लोगों की सूची सौंपी है, जिनका रेलवे संपत्ति को गंदा करने के लिए POLLUTER PAYS के सिद्धांत के तहत 5000 रुपये का चालान काटा गया है। रेलवे की ओर से NGT को यह भी जानकारी दी गई कि उसने रेलवे के नियमों के तहत इन लोगों से 41,800 रुपये का जुर्माना भी वसूला है। उसे दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से सहयोग न मिलने की वजह से एनजीटी के 11 फरवरी को जारी उस आदेश को अमल में लाने में दिक्कत हो रही है जिसमें रेलवे को यह अमाउंट दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर वसूलने और दिल्ली सरकार के पास एक अलग अकाउंट में जमा करने का निर्देश दिया गया था। रेलवे ने इस संबंध में पुलिस और सरकार को लेटर भी लिखा, जिसका उसे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। इस पर ट्रिब्युनल ने लिस्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख तय कर दी।
इसके अलावा रेलवे ने अपने सेफ्टी जोन में बसी झुग्गी बस्तियों के पुनर्वास में देरी के लिए भी दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) को जिम्मेदार ठहराया। दोनों पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए रेलवे ने कहा कि पटरियों के आसपास स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक ही स्थाई समाधान है कि उसकी जमीन पर बसी झुग्गी बस्तियों का पुनर्वास किया जाए। NGT अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच के सामने अर्जी दायर करते हुए रेलवे ने आरोप लगाया कि 6 में से 5 झुग्गी बस्तियों के सर्वे का काम पूरा होने के बाद भी DUSIB ने अभी तक उन्हें शिफ्ट नहीं किया है।
रेलवे की संपत्तियों को गंदा होने से बचा पाने में नाकामी का आरोप झेल रही उत्तर-रेलवे ने बुधवार को नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) को बताया कि उसने अभी तक ऐसे एक हजार से ज्यादा लोगों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। पर्यावरण सुधार के तौर पर इस रकम की वसूली में देरी के लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रेलवे ने कहा कि उसे इस काम में दोनों से जरूरी मदद नहीं मिल रही।
रेल मंत्रालय के वकील ओम प्रकाश ने बताया कि उन्होंने NGT को ऐसे 1024 लोगों की सूची सौंपी है, जिनका रेलवे संपत्ति को गंदा करने के लिए POLLUTER PAYS के सिद्धांत के तहत 5000 रुपये का चालान काटा गया है। रेलवे की ओर से NGT को यह भी जानकारी दी गई कि उसने रेलवे के नियमों के तहत इन लोगों से 41,800 रुपये का जुर्माना भी वसूला है। उसे दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से सहयोग न मिलने की वजह से एनजीटी के 11 फरवरी को जारी उस आदेश को अमल में लाने में दिक्कत हो रही है जिसमें रेलवे को यह अमाउंट दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर वसूलने और दिल्ली सरकार के पास एक अलग अकाउंट में जमा करने का निर्देश दिया गया था। रेलवे ने इस संबंध में पुलिस और सरकार को लेटर भी लिखा, जिसका उसे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। इस पर ट्रिब्युनल ने लिस्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख तय कर दी।
इसके अलावा रेलवे ने अपने सेफ्टी जोन में बसी झुग्गी बस्तियों के पुनर्वास में देरी के लिए भी दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) को जिम्मेदार ठहराया। दोनों पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए रेलवे ने कहा कि पटरियों के आसपास स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक ही स्थाई समाधान है कि उसकी जमीन पर बसी झुग्गी बस्तियों का पुनर्वास किया जाए। NGT अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली बेंच के सामने अर्जी दायर करते हुए रेलवे ने आरोप लगाया कि 6 में से 5 झुग्गी बस्तियों के सर्वे का काम पूरा होने के बाद भी DUSIB ने अभी तक उन्हें शिफ्ट नहीं किया है।
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