Sunday, July 31, 2016

सड़क के गड्ढों से देश भर में मर रहे हजारों लोग

नई दिल्ली
2015 में सड़क पर बने गड्ढों, मरम्मत होती और निर्माणाधीन सड़कों और स्पीड-ब्रेकर्स के कारण करीब 10,727 लोगों की मौत हो गई। हालांकि 2014 के आंकड़ों की तुलना में 2015 के अंदर मरने वालों की कुल संख्या में कमी आई है, लेकिन सड़क के गड्ढों के कारण हादसे का शिकार होकर मरने वालों की तादाद बढ़ी है। 2014 में ऐसी मौतों की संख्या जहां 3,039 थी, वहीं 2015 में यह आंकड़ा 3,416 हो गया।

महाराष्ट्र में सड़क के गड्ढों के कारण मरने वालों की संख्या में 7 गुनी वृद्धि हुई है। 2014 में जहां ऐसे हादसों में 124 लोग मरे, वहीं 2015 में यह संख्या 812 हो गई। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की परिवहन रिसर्च शाखा द्वारा जारी किए गए ताजा सड़क हादसे की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इससे पता चलता है कि एक ओर जहां केंद्र व राज्य सरकार नई सड़कों और फ्लाइओवर्स के निर्माण के लिए फंड बढ़ा रही हैं, वहीं इनका रखरखाव करने वाली एजेंसियां अपने काम में लगातार असफल साबित हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश में घटी हैं ऐसी मौतें
इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश का आंकड़ा चौंकाने वाला है। UP अपनी खराब सड़कों के लिए जाना जाता है, लेकिन 2014 के मुकाबले 2015 में यहां इस तरह की मौतों में करीब 50 फीसद गिरावट आई है। दिल्ली का रेकॉर्ड भी काफी अच्छा है। यहां सड़क के गड्ढों के कारण होने वाले हादसों में पिछले साल केवल 2 लोगों की ही जान गई। आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में पिछले साल सड़क के गड्ढों के कारण कुल 10,876 हादसे हुए। ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग के पूर्व प्रमुख आशीष कुमार का कहना है, 'यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि कई घटनाओं की तो रिपोर्ट ही नहीं होती। साथ ही हमारे देश में सड़क हादसों से होने वाली मौतों की कोई विस्तृत जांच उपलब्ध नहीं है।'
जल निकासी नहीं सुधरी, तो ऐसे ही रहेंगे हालात
सरकारी विभागों के साथ काम करने वाले सड़क इंजिनियर्स का कहना है कि जब तक शहरों में पानी निकाली व्यवस्था नहीं सुधरेगी, तब तक सड़कों पर जानलेवा गड्ढों का बनना बंद नहीं हो सकता। एक प्रदेश के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) अधिकारी ने बताया, 'हर शहर और महानगर में इन कामों के लिए कई विभाग और जिम्मेदार संस्थाएं हैं। ज्यादातर मामलों में मल निकासी और जल निकासी व्यवस्था अपर्याप्त और खराब है। नालों के ऊपर अनधिकृत निर्माण हुआ पड़ा है। ऐसे में सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। आप सड़कों की कितनी भी मरम्मत करें, लेकिन जब तक जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होगी और सड़कों पर से गाड़ियों का ओवरलोड कम नहीं होगा, तब तक असर दिक्कत खत्म नहीं होगी।'

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