Saturday, July 30, 2016

बरखा के समर्थन में खुलकर आए रवीश, कहा-एक आदमी नहीं हो सकता राष्‍ट्रवाद का ठेकेदार

एनडीटीवी की कंसल्‍ट‍िंग एडिटर बरखा दत्‍त और टाइम्‍स नाऊ के एडिटर इन चीफ अरनब गोस्‍वामी के बीच हुए विवाद पर वरिष्‍ठ पत्रकार रवीश कुमार ने एक बार फिर खुलकर अपना पक्ष रखा है। रवीश ने इस विवाद में अपने चैनल की सहयोगी बरखा को सही ठहराते हुए कहा है कि एक कोई शख्‍स राष्‍ट्रवाद का ठेकेदार नहीं हो सकता। द क्‍व‍िंट से बातचीत में रवीश ने अपनी यह राय जाहिर की है। बता दें कि इससे पहले रवीश ने अपने ब्‍लॉग कस्‍बा पर भी इस मुद्दे पर लिखा था।

द क्‍व‍िंट के पत्रकार ने जब रवीश से बरखा-अरनब प्रकरण पर राय मांगी तो उन्‍होंने कहा, ‘(ऐसे विवाद) होते रहना चाहिए।…जब मुल्‍क में कुछ न हो रहा हो तो यही सब होता है। तो होने दीजिए। एक सवाल तो है ही कि…मतलब‍ नेशनलिज्‍म के नाम पर कोई आदमी उसे को-ऑप्‍ट नहीं कर सकता। उसका ठेकेदार नहीं बन सकता। और दूसरे लोगों को आप ट्रेटर (गद्दार) नहीं बता सकते। अगर इसको कोई कह रहा है तो इसको चैलेंज तो मिलना ही चाहिए। वही बरखा ने किया है। अगर किसी का स्‍ट्रॉन्‍ग प्‍वाइंट है तो बरखा का भी स्‍ट्रॉन्‍डग प्‍वाइंट है।’ पत्रकार ने पूछा तो क्‍या आप बरखा को सपोर्ट करते हैं? रवीश ने कहा, ‘उनकी बातें तो जायज लगती हैं इस बारे में। कि आप कैसे नेशनलिज्‍म के नाम पर आप किसी को भी बिना जाने बिना किसी प्रूफ के….इसमें नहीं सपोर्ट करने वाली बात क्‍या है कि हम क्‍या सरकार से कहेंगे कि जर्नलिस्‍टों को बंद कर दीजिए। उनका ट्रायल कीजिए। हमारा काम नहीं है न कहने का।’

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रवीश ने आगे कहा, ‘बरखा दत्‍त की राइटिंग में प्रॉब्लम है तो आप क्रिटिसाइज कीजिए। खूब क्र‍िटिसाइज कीजिए। दिन भर क्र‍िटिसाइज कीजिए। लेकिन यह कहना कि कोई ट्रेटर है, टेररिस्‍ट है। पता नहीं नाम लेकर बोला है। मैं देखता नहीं टीवी इसलिए। मैं लोगों को भी बोलता हूं कि आप टीवी न देखें। इसलिए मुझे टीवी का झगड़ा नहीं मालूम है। लेकिन मैंने बरखा का पढ़ा है। दूसरे साइड से क्‍या है मुझे नहीं मालूम है।’

रवीश ने क्‍या कहा, नीचे देखें वीडियो

क्‍या है पूरा मामला

अरनब गोस्‍वामी ने अपने शो न्‍यूज ऑवर में कश्‍मीर मुद्दे पर pro pak doves silent शीर्षक से चर्चा रखी। चर्चा के दौरान जीडी बक्‍शी ने मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर क्‍यों कुछ बड़े अखबारों ने बुरहान वानी की लाश की फोटो छापी? ऐसा करना क्‍यों जरूरी था? जीडी बक्‍शी ने कहा, ‘यह इन्‍फॉर्मेशन वॉरफेयर (सूचना के जरिए जंग) का युग है। हम मीडिया के हमले का शिकार हो रहे हैं।’ बक्‍शी ने कहा कि कुछ मीडिया वाले कश्‍मीरी लोगों को अलगाव के लिए भड़का रहे हैं। इस दौरान अरनब ने कहा कि वे इससे पूरी तरह सहमत हैं। इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अरनब गोस्‍वामी ने कहा, ”जब लोग खुलेआम भारत का विरोध और पाकिस्‍तान व आतंकवादियों के लिए समर्थन जाहिर करते हैं तो ऐसे लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए?” अरनब ने कहा कि वे ऐसे लोगों को स्‍यूडो लिबरल्‍स (छद्म उदारवादी) कहते हैं। ऐसे लोगों का ट्रायल होना चाहिए। अरनब ने यह भी कहा कि मीडिया में कुछ खास लोग बुरहान वाणी के लिए हमदर्दी दिखाते हैं। यह वही ग्रुप है जो अफजल गुरु के लिए काम करता है और उसकी फांसी को साजिश बताता है। अरनब ने कहा कि मीडिया में छिपे ऐसे लोगों पर बात होनी चाहिए।

बरखा ने साधा निशाना

कार्यक्रम के अगले दिन बरखा ने फेसबुक पोस्‍ट के जरिए अरनब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 27 जुलाई को बरखा ने अपने फेसबुक पोस्‍ट में लिखा, ‘टाइम्‍स नाऊ मीडिया पर अंकुश लगाने, जर्नलिस्‍ट्स पर केस चलाने और उन्‍हें सजा देने की बात कहता है? क्‍या यह शख्‍स जर्नलिस्‍ट है? मैं उनकी ही तरह इस इंडस्‍ट्री का हिस्‍सा होने पर शर्मिंदा हूं। जो चीज चोट पहुंचा रही है, वो उनका खुल्‍लमखुल्‍ला बुजदिली भरा पाखंडपूर्ण रवैया है। वे पाकिस्‍तानपरस्‍त कबूतरों की बात तो करते हैं, लेकिन जम्‍मू-कश्‍मीर में गठबंधन को लेकर हुए समझौते का एक शब्‍द भी जिक्र नहीं करते। इस समझौते के मुताबिक बीजेपी और पीडीपी को पाकिस्‍तान और हुर्रियत से बात करनी है। वे मोदी की पाकिस्‍तान से नजदीकी पर चुप हैं, जिस पर मुझे भी कोई आपत्‍त‍ि नहीं है। मुझे आपत्‍त‍ि इस बात की है कि चूंकि अरनब गोस्‍वामी देशभक्‍त‍ि का आकलन इन विचारों से करते हैं तो वे सरकार पर चुप क्‍यों हैं? चमचागिरी? सोचिए, एक जर्नलिस्‍ट सरकार को उपदेश देता है कि मीडिया के कुछ धड़ों को बंद कर देना चाहिए। उन्‍हें बतौर आईएसआई एजेंट्स और आतंकियों के हमदर्द के तौर पर पेश करता है। उनके खिलाफ मामला चलाने और कार्रवाई करने की बात करता है।’

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