केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (5 जुलाई) को अयोध्या के शूरवीर नाम से एक किताब का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन दिल्ली में किया गया था। इस किताब में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के उन जवानों का जिक्र है जिन्होंने 5 जुलाई 2005 को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद की जमीन पर हमला करने आए आतंकियों को बहादुरी से रोका था। इस हमले में CRPF के जवानों ने 5 आतंकियों को मार गिराया था।
किताब में CRPF के उन 20 बहादुर जवानों के बारे में बताया गया है। इन लोगों में से दो को शौर्य चक्र, 6 को प्रेजिडेंट की तरफ से शौर्य पुरस्कार (PPMG) और 12 को शौर्य पुरस्कार मिला था। राजनाथ सिंह के अलावा इस किताब के प्रदर्शन पर CRPF के डीजी के साथ कई सीनियर अधिकारी भी मौजूद थे।
क्यों लिखी गई है किताब: CRPF की तरफ से अपने जवानों की बहादुरी के किस्से दुनिया को बताए जाने के लिए यह कदम उठाया है। इससे पहले भी चार किताबें आ चुकी हैं। इनका नाम शौर्य गाथा, वीर ब्रिहुनंदन, शूरवीर प्रकाश, जांबाज इलेंगो है।
किताब का कवर
क्या था 2005 का मामला: पांच जुलाई 2005 की सुबह करीब सवा नौ बजे आतंकियों ने फैजाबाद के अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि परिसर की बैरिकेटिंग के पास और परिसर में ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए बम धमाका किया था। इसमें ड्यूटी में तैनात सुरक्षा बल के कई जवान जख्मी हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में जवानों ने पांच आतंकियों को ढेर कर दिया था। बाद में पांच और आरोपी पकड़े गए। दो आम नागरिक भी इस हमले में मारे गए थे। सात अन्य लोग घायल हुए थे।
घटना के बाद में जिन लोगों को पकड़ा गया उनमें सहारनपुर के शेख जादगानना कस्बा निवासी डॉ. इरफान, जम्मू के पुंछ सखी मैदान निवासी आसिफ इकबाल उर्फ फारुख व शकील अहमद, पुंछ के ही मेंडर पाटीदार निवासी मो.नसीम और मो.अजीज फिलहाल नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। आतंकियों पर बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने और रामलला मंदिर को ध्वस्त कर और दो सम्प्रदायों के बीच शत्रुता बढ़ाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से हमला करने का आरोप है। 19 अक्टूबर 2006 को उन लोगों पर आरोप तय हुए थे।
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