मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने साफ किया है कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनावों में कांग्रेस के साथ किसी गठबंधन की संभावना नहीं है। ऐसे में जबकि इन दोनों राज्यों में चुनाव सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने हुए हैं, सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या दोनों पार्टियों में कोई समझौता हो सकेगा।
जहां तक पंजाब की बात है वहां आम आदमी पार्टी एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है। वहां इसका सामना अकाली दल-भाजपा की संयुक्त सरकार से है। पंजाब में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी खासा आधार है। तो ऐसे में वहां वामपंथ की भूमिका पर भी निगाह जाती है। क्या माकपा वहां अपना भविष्य देख रही है? और क्या वह वहां कांग्रेस से गठजोड़ करेगी? जनसत्ता के साथ खास बातचीत में येचुरी ने कहा, ‘हालांकि इसका पश्चिम बंगाल से कोई लेना-देना नहीं है। पार्टी के सर्वोच्च संगठन ने यह तय किया है कि 2018 तक कांग्रेस के साथ कोई गठजोड़ नहीं किया जाएगा’। पश्चिम बंगाल में गठबंधन में चुनाव लड़ने के बावजूद दोनों पार्टियां मिल कर भी तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती नहीं दे पार्इं। इस कारण माकपा को अंदरूनी कलह का भी सामना करना पड़ा। पार्टी की वरिष्ठ सदस्य जगमती सांगवान को इस मुद्दे पर अपना विरोध प्रकट करने के बाद अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है।
पंजाब के तीनों इलाकों मालवा, माझा व दोआबा में कम्युनिस्ट पार्टियों के अपने-अपने गढ़ हैं। यहां पहले भी कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों में तालमेल होता रहा है। लेकिन येचुरी ऐसे किसी गठबंधन की संभावना से साफ इनकार करते हैं। पंजाब में गठबंधन को लेकर माकपा महासचिव ने कहा, ‘यह सच है कि इस समय हमारा मुख्य लक्ष्य फासीवादी व सांप्रदायिक ताकतों को पछाड़ना है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह कांग्रेस की मदद के साथ ही हो। फिलहाल हम इसके खिलाफ अपने दम पर ही लड़ाई लड़ेंगे’।
येचुरी ने कहा कि पंजाब व उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से तालमेल न रखने के फैसले का पश्चिम बंगाल में गठबंधन पर कोई असर नहीं। वहां हमारा गठबंधन जारी रहेगा। पश्चिम बंगाल की स्थितियां अलग हैं और वहां इसके सकारात्मक व उत्साहजनक परिणाम मिलने की आशा है। इन दोनों प्रदेशों में हम अपना स्वतंत्र काडर खड़ा करेंगे जिसे अगले एक साल में मजबूत किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के तीनों धड़ों में किसी आपसी तालमेल की संभावना से इनकार नहीं किया। उनका कहना था कि तीनों के बीच में कोई आपसी समझ अगर बन सकी तो उसका आने वाले चुनाव में फायदा ही होगा। इन दोनों प्रदेशों में पहली बार येचुरी की अगुआई में चुनाव लड़ा जाएगा और जिस तरह से पार्टी के अंदर का असंतोष इस बार फूट कर बाहर आया है, यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।
राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के साथ भारत की दोस्ती पर येचुरी ने गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना है कि जिस तरह हम अमेरिका को खुश करने के लिए हर सीमा से बाहर जा रहे हैं, वह उचित नहीं। उन्होंने कहा, ‘पूरे विश्व को पता चल रहा है कि भारत अमेरिका के कनिष्ठ साझेदार की तरह वैश्विक राजनीति कर रहा है। चीन के खिलाफ अमेरिका, जापान व भारत एक तिकड़ी की तरह दिख रहे हैं। अमेरिका की शह पर उदारीकरण को तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी तेज रफ्तार से लागू कर रहे हैं’।
येचुरी ने सरकार को आगाह किया कि वह जितनी भी कोशिश कर ले, अमेरिका को पाकिस्तान से दूर नहीं कर पाएगी। रणनीति के तौर पर अमेरिका को एशिया के इस भाग में पाकिस्तान की जरूरत है और वह उसके साथ अपने संबंध एक हद से ज्यादा खराब नहीं करेगा। राजग सरकार की विदेश नीति पर चोट करते हुए वे कहते हैं, ‘लेकिन अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने जिस तरह भारत घुटनों पर है, विदेश नीति की ऐसी गिरावट का इतिहास में कोई उदाहरण नहीं है। भारत एक कनिष्ठ राजनीतिक की तरह अमेरिकी राष्ट्रपति का मुंह ताकता दिखाई देता है। अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बराबरी का सिद्धांत इस मामले में चरमरा कर रह गया है’।
कारखाने के साथ कुओं पर लाल झंडा
पार्टी के काडर को आगाह कर दिया गया है कि वे संगठित हों। पार्टी ने सामाजिक बराबरी के लिए भी मुहिम चलाने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी अपने जनाधार में विस्तार करेगी। अब फैक्टरी के गेट के साथ-साथ गांव के कुओं पर भी लाल झंडा फहराएगा। हमने इस सामाजिक क्रांति का आह्वान कर दिया है।
अमेरिका का मुंह ताक रहा भारत
मोदी सरकार जितनी भी कोशिश कर ले, अमेरिका को पाकिस्तान से दूर नहीं कर पाएगी। रणनीति के तौर पर अमेरिका को एशिया के इस भाग में पाकिस्तान की जरूरत है और वह उसके साथ अपने संबंध एक हद से ज्यादा खराब नहीं करेगा। अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने जिस तरह भारत घुटनों पर है, विदेश नीति की ऐसी गिरावट का इतिहास में कोई उदाहरण नहीं है। भारत एक कनिष्ठ राजनीतिक की तरह अमेरिकी राष्ट्रपति का मुंह ताकता दिखाई देता है। अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बराबरी का सिद्धांत इस मामले में चरमरा कर रह गया है।
The post यूपी-पंजाब में कांग्रेस से समझौता नहीं : येचुरी appeared first on Jansatta.
Read more: यूपी-पंजाब में कांग्रेस से समझौता नहीं : येचुरी