Thursday, July 28, 2016

AIIMS में 'ब्रेन ड्रेन', लगाई PM मोदी से गुहार

वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्ली
एम्स मुसीबत में है! कभी एम्स में काम करने वाली फैकल्टी खुद पर गर्व करती थी, मगर आज एक साल के अंदर फैकल्टी के 14 लोग एम्स छोड़कर जा चुके हैं। हालत यह है कि डॉक्टरों को सर्जरी के लिए ऑपरेशन थिएटर नहीं मिल रहा है और सीनियर रेजिडेंट्स भी एम्स में जॉइन करने को तैयार नहीं हैं। एम्स के फैकल्टी असोसिएशन ने संस्थान के इस दर्द को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हेल्थ मिनिस्टर जे. पी. नड्डा को पत्र लिखकर बताया है और उनसे इसका हल निकालने की गुहार लगाई है।

फैकल्टी असोसिएशन ने अपने पत्र में लिखा है कि अभी सारा फोकस नए एम्स खोलने पर है, जबकि असली एम्स में फैकल्टी मुसीबत में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि एम्स अब तक अपने वर्क कल्चर के लिए जाना जाता था, लेकिन आज ऐसी बात नहीं है। फैकल्टी के लोग अब एम्स छोड़कर जा रहे हैं, उनमें एम्स का अट्रैक्शन खत्म हो रहा है। डॉक्टरों ने इसकी वजह एम्स में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी बताया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि एम्स में फैकल्टी की संख्या बहुत हो गई है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है। उनके बैठने के लिए जगह नहीं है, उन्हें ऑपरेशन करने के लिए ऑपरेशन थियेटर में जगह नहीं मिल रही और मरीजों के लिए वेटिंग बढ़ रही है।

फैकल्टी असोसिएशन का कहना है कि एक बार फिर से 118 फैकल्टी को रिक्रूट करने की तैयारी चल रही है, इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। फैकल्टी को रहने तक की जगह नहीं मिल रही, जो मिलनी चाहिए। साथ में कम से कम बेसिक वर्किंग कंडीशन तो होना चाहिए, ताकि डॉक्टर अपना काम कर सके। डॉक्टरों का कहना है कि 60 साल से एम्स अपने काम के लिए ही जाना जाता रहा है, इसलिए प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपील है कि वे एम्स को मुसीबत से निकालें।

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