Friday, July 1, 2016

दिल्ली जैसे महानगर में 12000 रुपए का गुजारा भत्ता बहुत ज्यादा नहीं: कोर्ट

एक स्थानीय अदालत ने एक व्यक्ति को उससे अलग रह रही उसकी पत्नी एवं बच्चे के लिए घरेलू हिंसा मामले में 12000 रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का मिले आदेश को यह कहते हुए खारिज करने से इनकार कर दिया कि यह रकम दिल्ली जैसे शहर में महंगाई और बढ़ती कीमतों के मद्देनजर अत्यधिक नहीं है। सत्र अदालत ने अपीलकर्ता डीएमआरसी अधिकारी की अपील खारिज करते हुए यह भी कहा कि कानूनी रूप से ब्याही पत्नी एवं बच्चों का भरणपोषण समर्थ पति का कर्तव्य है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार ने कहा कि महिला और बच्चे के लिए 12000 रुपए प्रतिमाह अंतरिम गुजारा भत्ता को दिल्ली जैसे महानगर में महंगाई और बढ़ते दामों के मद्देनजर अत्यधिक नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता की कानूनी रूप से ब्याही पत्नी होने के नाते प्रतिवादी :पत्नी: उसके द्वारा भरण-पोषण की हकदार है। अपनी पत्नी एवं बच्चे का भरणपोषण करना समर्थ पति का कर्तव्य है।
गाजियाबाद निवासी अनिल कुमार ने यह कहते हुए अपील दायर की थी कि निचली अदालत ने फैसला सुनाते समय उनके बोझ एवं देनदारियों का ख्याल नहीं किया।  अभियोजन के अनुसार शिकायतकर्ता ने अपने पति अनिल और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी थी तथा निचली अदालत ने अनिल के सेलरी स्लिप पर गौर करने के बाद उन्हें पत्नी को 12000 रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। निचली अदालत ने दिल्ली मेट्रो के तकनीशियन अनिल को बकाया राशि छह माह में देने को भी कहा था।


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