राजेश चौधरी , नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 साल की बच्ची के साथ रेप मामले में आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई है। हाई कोर्ट आरोपी की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि यह सेटल लॉ है कि चाइल्ड विटनेस के बयान को सीधे तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट को यह देखना होता है कि पीड़ित का जो बयान है वह किसी दबाव में तो नहीं है। मामले में पीड़ित 4 साल की थी और उससे इससे ज्यादा बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने बयान को विश्वसनीय माना और आरोपी की अर्जी खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर कहा कि गवाहों के बयान में अगर मामूली अंतर आ जाए तो इससे अभियोजन पक्ष का मुख्य केस प्रभावित नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि इस मामले में पीड़िता 4 साल की है और यह कानून कहता है कि सीधे तौर पर चाइल्ड विटनेस के बयान को दरकिनार नहीं किया जा सकता कि उसे सीखाया पढ़ाया जा सकता है। अदालत को उन बयानों और साक्ष्य को काफी सावधानी से आंकलन करना होता है।
ऐसे मामले में ज्यादा ऐहतियात बरतनी होती है क्योंकि ऐसे गवाह को कुछ भी बोलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कोर्ट को यह देखना होता है कि क्या पीड़ित ने कोर्ट में जो बयान दिया है वह किसी के दबाव में तो नहीं है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि पीड़िता बच्ची आरोपी को मामले में फंसाए। विक्टिम ने जो बयान दिया है उससे ज्यादा 4 साल की बच्ची से उम्मीद नहीं की जा सकती। बच्ची निर्दोष और अबोध थी। जब उसके परिवार वाले घर पर नहीं थे तब आरोपी उसे अपने घर ले गया और उसके साथ यह कुकर्म किया।
आरोपी ने अबोध बच्ची की स्थिति का फायदा उठाकर सारी हदें पार की। आरोपी की अपील में कोई मेरिट नहीं है और उसे खारिज किया जाता है। निचली अदालत ने आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
मामला करावल नगर इलाके का है। आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई कि उसने 4 साल की बच्ची के साथ छेढ़छाड़ की है। लड़की की मां ने पुलिस के सामने बयान दिया। पुलिस ने 3 जून 2009 को केस दर्ज कर लड़की की मेडिकल कराया और फिर बच्ची और उसकी मां के अलावा अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए। बाद में लड़की के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के खिलाफ रेप का केस चलाया गया।
निचली अदालत ने रेप में आरोपी को सजा सुनाई। आरोपी ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि वह निर्दोष है। लड़की की मां ने शुरूआत में छेड़छाड़ का केस दर्ज कराया और बाद में बयान को इंप्रूव किया। हाई कोर्ट ने आरोपी की अर्जी खारिज करते हुए उसकी 10 साल की कैद की सजा बरकरार रखी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 साल की बच्ची के साथ रेप मामले में आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई है। हाई कोर्ट आरोपी की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि यह सेटल लॉ है कि चाइल्ड विटनेस के बयान को सीधे तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट को यह देखना होता है कि पीड़ित का जो बयान है वह किसी दबाव में तो नहीं है। मामले में पीड़ित 4 साल की थी और उससे इससे ज्यादा बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने बयान को विश्वसनीय माना और आरोपी की अर्जी खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर कहा कि गवाहों के बयान में अगर मामूली अंतर आ जाए तो इससे अभियोजन पक्ष का मुख्य केस प्रभावित नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि इस मामले में पीड़िता 4 साल की है और यह कानून कहता है कि सीधे तौर पर चाइल्ड विटनेस के बयान को दरकिनार नहीं किया जा सकता कि उसे सीखाया पढ़ाया जा सकता है। अदालत को उन बयानों और साक्ष्य को काफी सावधानी से आंकलन करना होता है।
ऐसे मामले में ज्यादा ऐहतियात बरतनी होती है क्योंकि ऐसे गवाह को कुछ भी बोलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कोर्ट को यह देखना होता है कि क्या पीड़ित ने कोर्ट में जो बयान दिया है वह किसी के दबाव में तो नहीं है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि पीड़िता बच्ची आरोपी को मामले में फंसाए। विक्टिम ने जो बयान दिया है उससे ज्यादा 4 साल की बच्ची से उम्मीद नहीं की जा सकती। बच्ची निर्दोष और अबोध थी। जब उसके परिवार वाले घर पर नहीं थे तब आरोपी उसे अपने घर ले गया और उसके साथ यह कुकर्म किया।
आरोपी ने अबोध बच्ची की स्थिति का फायदा उठाकर सारी हदें पार की। आरोपी की अपील में कोई मेरिट नहीं है और उसे खारिज किया जाता है। निचली अदालत ने आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
मामला करावल नगर इलाके का है। आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई कि उसने 4 साल की बच्ची के साथ छेढ़छाड़ की है। लड़की की मां ने पुलिस के सामने बयान दिया। पुलिस ने 3 जून 2009 को केस दर्ज कर लड़की की मेडिकल कराया और फिर बच्ची और उसकी मां के अलावा अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए। बाद में लड़की के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के खिलाफ रेप का केस चलाया गया।
निचली अदालत ने रेप में आरोपी को सजा सुनाई। आरोपी ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि वह निर्दोष है। लड़की की मां ने शुरूआत में छेड़छाड़ का केस दर्ज कराया और बाद में बयान को इंप्रूव किया। हाई कोर्ट ने आरोपी की अर्जी खारिज करते हुए उसकी 10 साल की कैद की सजा बरकरार रखी है।
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